चीन के खिलाफ भारत सहित समूचे विश्व को एकजुट होना पड़ेगा : विजय मान

 तिब्बत में भगवान बुद्ध की 99 फीट ऊँची प्रतिमा को किया ध्वस्त

              


मेरठ  9 जनवरी 2022 ||

भारत तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने चीन की वामपंथी सरकार द्वारा 99 फीट ऊँची बुद्ध की एक प्रतिमा को ध्वस्त करने की कड़ी निंदा करते हुए ऐसे वामपंथियों का तालिबानी संस्करण बताया। 
उन्होंने कहा कि चीन तिब्बत की संस्कृति और सभ्यता को मिटाने के लिए जिस प्रकार प्राण प्रण से जुड़ा है उसके खिलाफ भारत सहित समूचे विश्व को एकजुट होना पड़ेगा और चीन की इस दमनकारी नीति का विरोध करना पड़ेगा।



गौरतलब है कि चीन की वामपंथी सरकार ने नष्ट कर दिया है।  इसी के साथ प्रार्थना के लिए 45 पहियों को भी जमींदोज कर दिया। यह घटना तिब्बत के ड्रैगो में खाम की है। इस प्रतिमा को बने हुए अभी 6 वर्ष ही हुए थे। बौद्धों के पास इसके जरूरी कागज़ात भी थे। इस मूर्ति का ध्वस्तीकरण 12 दिसम्बर 2021 से शुरू हुआ। इसको तोड़ने में 9 दिन लगे।



इस घटना की पुष्टि रेडियो फ्री एशिया ने की है। उसने इसकी सैटेलाइट तस्वीरों को भी जारी किया है जिसमें पहले एक बड़े सफेद छाते के नीचे खड़ी सफेद मूर्ति अब मलबा बन चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मूर्ति का निर्माण स्थानीय तिब्बती 5 अक्टूबर 2015 को करवाया था। इसमें लगभग $6.3 मिलियन का खर्च आया था। इसके ध्वस्तीकरण को देखने के लिए स्थानीय बौद्धों को मजबूर भी किया गया। चीनी अधिकारियों ने इसकी अधिक ऊँचाई होने का बहाना बनाया था। जबकि  इसका निर्माण पूरे कानूनी दायरे में किया गया था।
भारत तिब्बत समन्वय संघ  ने इस घटना को तालिबानी हरकत बताया है। मूर्ति का चित्र अपने फेसबुक पर डालते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने  लिखा है, “चीन तालिबान के नक्श-ए-कदम पर चल रहा है। तालिबान द्वारा बामियान में बुद्ध की प्रतिमा को नष्ट करने के बाद चीनी अधिकारियों ने सिचुआन के एक तिब्बती क्षेत्र में भगवान बुद्ध की 99 फुट की प्रतिष्ठित मूर्ति को ध्वस्त कर दिया और तिब्बती भिक्षुओं को यह विनाश देखने के लिए मजबूर किया।”
तिब्बत के बौद्ध निवासियों पर चीनी अधिकारियों और पुलिस का अत्याचार लगातार जारी है। इस ध्वस्तीकरण अभियान के मुखिया का नाम वांग डांग शेंग है। बताया जा रहा है कि इससे पहले वो सिचुआन के लरंग बुद्धिस्ट एकेडमी (Larung Gar Buddhist Academy) को भी ध्वस्त कर चुके हैं। इस अभियान में हजारों बौद्ध भिक्षु बेघर हो गए थे। उनके घरों को भी तोड़ दिया गया था।