थाइराइड में परहेज और घरेलू उपाय
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इस आधुनिक युग में थायराइड की समस्या आजकल एक गंभीर समस्या बनी हुई है। थाइराइड गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों तरफ होती है। ये तितली के आकार की होती है।
थायराइड गले में पायी जाने वाली एक ग्रंथि है। गले में पायी जाने वाली इस थायराइड ग्रंथि से थायरोक्सिन हॉर्मोन निकलता है।
जब इस ग्रंथि से निकलने वाले थायरोक्सिन हॉर्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है, जब शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां होने लगती है।
जब ग्रंथि से निकलने वाले थायरोक्सिन हॉर्मोन की मात्रा कम हो जाती है, तब शरीर में मेटाबोलिज़्म तेज होने लगते है, जिससे हमारी बॉडी की एनर्जी जल्दी ख़त्म हो जाती है।
इसके विपरीत इसकी मात्रा बढ़ने के कारण, मेटाबोलिज़्म कम हो जाते है, जिसके कारण शरीर सुस्त और थका हुआ हो जाता है। थायराइड ग्रंथि के कारण शरीर के अनेक हिस्से प्रभावित होते है।
थायराइड किसी भी उम्र के लोगो में हो सकता है। बच्चो में थायराइड की समस्या होने पर उनकी लंबाई कम हो जाती है, और शरीर फैलने लगता है।
महिलाओं पर इसका प्रभाव कभी कभी सामने से नजर आता है कुल मिलाकर यही कहना होगा कि आमतौर ओर थाइरोइड की बीमारी जान तो नहीं लेता पर हां ये परेशान बहुत ज्यादा कर देता है साथ हमारी लुक को भी भद्दा कर देता। तो अब थाइरोइड की समस्या से भागने या इसे झेलने की जरूरत नहीं बस आप हमारे बताए गए इस इलाज को अपनाएं और जल्द से जल्द थाइराइड नाम की बला से राहत पाएं।
महिलाओं के साथ-साथ पुरूषों में भी आजकल थायराइड की दिक्कत बढ़ती जा रही है। थायराइड में वजन अचानक से बढ़ जाता है या कभी अचानक से कम हो जाता है। इस रोग में काफी दिक्कत होती है।
आयुर्वेद में थायराइड को बढ़ने से रोकने के बेहद सफल प्रयोग बताएं गए हैं। जिनमे से ज्यादातर उपचार की वस्तुएं हमारे गाँव में ही मिल जाती हैं तो आइए जानते हैं All Ayurvedic के माध्यम से थाइराइड से छुटकारा पाने के लिए सबसे कारगर घरेलू उपचार। आइए जानते है सबसे पहले थाइराइड के प्रकार, लक्षण, कारण और परहेज।
कितने तरह के होते हैं थाइराइड | Thyroid
थायराइड से जुड़ी आम समस्याओं की बात करे तो इसमें थायराइड के पांच प्रकार के विकार होते हैं। इसमें हाइपोथायराइडिज्म, हाइपरथायराइडिज्म, आयोडीन की कमी के कारण होने वाले विकार जैसे गॉयटर/गलगंड, हाशिमोटो थायराइडिटिस और थायराइड कैंसर शामिल हैं।
थायराइड ग्रंथि से दो हॉर्मोन बनते हैं- टी 3 (ट्राई आयडो थायरॉक्सिन) और टी 4 (थायरॉक्सिन)। यह हार्मोन शरीर के तापमान, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट को नियंत्रित करते हैं. थायराइड ग्रंथि पर पीयूष/ पिट्यूटरी ग्लैंड का नियंत्रण होता है जो दिमाग में मौजूद होती है। इससे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) निकलता है. जब शरीर में इन हार्मोन का संतुलन गड़बड़ होता है तो व्यक्ति थायराइड का शिकार हो जाता है।
हाइपोथायराइडिज्म स्थिति में थायराइड हार्मोन का स्रवा कम होता है, जिससे शरीर का मेटाबोलिज्म बिगड़ (धीमा हो) जाता है। इसके विपरीत हाइपरथायराइडिज्म तब होता है जब थायराइड हार्मोन की मात्रा शरीर में ज्यादा बनती है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है।
थाइराइड के लक्षण
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर : शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर बिना दवाइयों के छोटे-छोटे रोगों से निजात पाना मुश्किल हो जाता है। थाइराइड में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होनी शुरू हो जाती है।
थकावट महसूस होना : आराम करने के बाद भी थकावट महसूस होना थाइराइड का लक्षण हो सकता है। इसमें शरीर की एनर्जी कम होने लगती है और काम करने में आलस आता है।
बालों का झड़ना : थाइराइड होने पर बाल झड़ने लगते हैं कई बार को भौहों के बाल भी बहुत हल्के हो जाते हैं।
कब्ज की परेशानी : इसमें खाना आसानी से पचाने में भी परेशानी होती है। जिससे पेट से संबंधित परेशानियां भी आनी शुरू हो जाती हैं, कब्ज इस रोग में होने वाली आम दिक्कतों में से एक है। लगातार कब्ज हो रही है तो थाइराइड का चेकअप जरूर करवाएं।
त्वचा का रूखापन : थाइराइड होने पर त्वचा में रूखापन आना शुरू हो जाता है। इस परेशानी में स्किन के ऊपरी हिस्से के सैल्स डैमेज होने लगते हैं।
हाथ-पैर ठंडे रहना : इस समस्या में हाथ पैर ठंड़े रहने लगते हैं। शरीर का तापमान सामान्य होने पर भी हाथ-पैरों में ठंड़क महसूस होती है।
वजन बढ़ना या घटना : किसी भी बीमारी से पहले शरीर संकेत देने शुरू कर देता है। इसमें वजन एकदम से घटना या बढ़ाना शुरू हो जाता है।
थायराइड होने के कारण
स्ट्रेस में रहना : थायराइड बढ़ने का सबसे पहला कारण आपका बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेना ही है। इसके अलावा इससे याद्दाश्त कमजोर होने का खतरा भी बन रहता है। इसलिए अगर आपको थायराइड की समस्या है तो ज्यादा स्ट्रेस न लें।
स्मोकिंग करना : सिर्फ थायराइड ही नहीं, स्मोकिंग तो वैसे भी सेहत के लिए हानिकारक होती है। इसलिए आज ही अपनी इस गलत आदत को बदल लें। कहीं ऐसा न हो आपकी यह आदत थायराइड बढ़ने और बीमारियों का कारण बन जाए।
सोया का सेवन : थायराइड की समस्या में सोया बीन्स या अन्य सोया चीजों का सेवन आपको लिए हानिकारक होता है। थायराइड ग्लेंड को बढ़ाने वाली इन चीजों से आपकी कंडीशन और भी खराब हो सकती है।
डॉक्टरी सलाह पर ध्यान ना देना : इस समस्या में अपनी डाइट से लेकर नियमित दिनचर्या का खास ख्याल रखना पड़ता है। बहुत से लोग इस प्रॉब्लम को छोटा समझकर डॉक्टर की सलाह पर भी ध्यान नहीं देते। मगर आपकी यह गलती आप पर भारी पड़ सकती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह पर पूरी तरह अमल करें।
कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करना : बहुत से लोग वजन बढ़ने के डर से कार्बोहाइड्रेट्स युक्त चीजों का सेवन बंद कर देते हैं लेकिन यह थायराइड ग्लेंड के लिए सही नहीं है। थायराइड को कंट्रोल (Thyroid Control) में रखने के लिए हैल्दी लाइट लेना बहुत जरूरी है। इसलिए आपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट्स युक्त चीजों को शामिल करें।
ग्लूटेन वाले आहारों का सेवन : अगर आप ग्लूटेन वाले आहारों का सेवन ज्यादा करते हैं तो आपको हाशीमोटोज रोग हो सकता है, जोकि थायराइड से ही जुड़ा रोग है। इसलिए ग्लूटेन वाले आहार जैसे गेंहूं का आटा, पास्ता, ब्रेड्स, बिस्किट्स, सीजनिंग्स और कई तरह के मसाले, बाजरा, चिकन, नूडल्स, बर्गर, पिज्जा, सोया सॉस आदि से दूर रहें।
शुगर कंट्रोल न करना : शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल में न रखने से इंसुलिन बिगड़ जाता है, जोकि थायराइड की समस्या को बढ़ा देता है। इसलिए अपनी शुगर को कंट्रोल में रखें।
ज्यादा डाइट और सप्लीमेंट लेना : कैल्शियम आयरन प्रोटीन और सोया सप्लीमेंट ज्यादा मात्रा में लेने से भी बॉडी में थायराइड हार्मोन का बैलेंस बिगड़ सकता है। इसलिए अपनी डाइट को थायराइड के हिसाब से मेंटेन करें।
ज्यादा नमक और सी फूड खाना : ज्यादा नमक और सी फूड लेने से बॉडी में आयोडीन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे इससे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। इसलिए नमक और सी फूड का कम से कम सेवन करें।
फालतू दवाएं लेना : कुछ दवाएं ऐसी होती है जो थायराइड ग्लेंड को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए बेहतर होगा कि कोई भी फालतू दवाई लेने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह लें।
थायराइड की सबसे कारगर औषधि निर्गुण्डी
निर्गुण्डी के पत्तों का रस 14 से 28 मिलीलीटर दिन में 3 बार सेवन करें या निर्गुण्डी के 21 पत्ते लेकर उसका रस निकाल कर उस रस को 3 बराबर भागो में बांट कर दिन में 3 बार ले यह प्रयोग 21 दिन करने से थाइराइड से निजात मिलती है। निर्गुण्डी की जड़ों को पीसकर इसका रस नाक में डालना चाहिए इससे भी फायदा मिलता है। यह थाइराइड से बने गले मे घेंघा या गोइटर बनने पर भी काम करता है।
लाल प्याज होता है थाइराइड में गुणकारी |
रात को सोने से पहले मध्यम आकार के लाल प्याज को लेकर दो हिस्सों में काट लें। इन कटे हुए हिस्सों को गर्दन में थाइराइड ग्लैंड के आसपास रगड़ें। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। रोजाना लगातार इसका इस्तेमाल करने से आराम मिलेगा। प्याज खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी है। इसमें एंटी बैक्टिरियल,एंटी फंगल के अलावा और भी बहुत से जरूरी तत्व होते हैं।
थाइराइड में क्या खाएं और क्या नही खाना फायदेमंद है
1. हाइपोथाइराइड | Hypothyroid : इसमें थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता, जिससे शरीर में जरूरत के मुताबिक T3, T4 हार्मोन नहीं पहुंच पाता। इसकी वजह से शरीर का वजन अचानक बढ़ जाता है। सुस्ती महसूस होने लगती है। शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। अनियमित पीरियड, कब्ज की शिकायत, चेहरे और आंखों पर सूजन आ जाता है। यह बीमारी 30 से 60 साल की महिलाओं में अधिक होती है।
क्या खाएं? : आयोडिन नमक, आयोडिन से भरपूर चीजें, सी फूड, फिश, चिकेन, अंडा, टोंड दूध और उससे बनी चीजें जैसे दही, पनीर, टमाटर, मशरुम, केला, संतरे आदि, फिजिशियन की सलाह पर विटामिन, मिनिरल्स, आयरन सप्लीमेंट्स।
क्या नहीं खाएं? : सोयाबीन और सोया प्रोडक्ट रेड मीट, पैकेज्ड फूड, ज्यादा क्रीम वाले प्रोडक्ट जैसे केक, पेस्ट्री, स्वीट पोटैटो, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, मूंगफली, बाजरा आदि, फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, शलगम आदि।
2. हाइपरथाइराइड | Hyperthyroid : इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है। T3, T4 हार्मोन जरुरत से अधिक मात्रा में निकलकर ब्लड में घुलने लगता है। इस हालत में शरीर का वजह एकाएक कम हो जाता है। मांशपेशियां कमजोर हो जाती है। भूख ज्यादा लगती है, ठीक से नींद नहीं आती, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। पीडियड्स में अनियमितता, अधिक ब्लीडिंग की समस्या, गर्भपात का भी खतरा बना रहता है।
क्या खाएं? : हरी सब्जियां, साबूत अनाज, ब्राउन ब्रेड, ओलिव ऑयल, लेमन, हर्बल और ग्रीन टी, अखरोट, जामुन, स्ट्रॉबेरी, गाजर, हरी मिर्च, शहद।
क्या नहीं खाएं? : मैदा से बने प्रोडक्ट जैसे पास्ता, मैगी, व्हाइट ब्रेड, सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल, कैफीन, रेड मीट, ज्यादा मीठी चीजें जैसे मिठाई।