विटामिन ' डी ' :- की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग • मज्जा तंतुओं की कमजोरी । • क्षय रोग । • सर्दी जुकाम बार - बार होना । • शारीरिक कमजोरी । • खून की कमी । विटामिन डी युक्त खाद्यों की तालिका निम्नलिखित खाद्य - पदार्थों में विटामिन ' डी ' पाया जाता है । जिन रोगियों के शरीर में विटामिन ' डी ' की कमी होती है उनको औषधियों से चिकित्सा करने के साथ - साथ इन खाद्यों का प्रयोग भी करना चाहिए ।
विटामिन ' डी ' प्राय : उन सभी खाद्यों में होता है जिनमें विटामिन ' ए ' पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है । - • ताजी साग - सब्जी । • पत्तागोभी । • पालक का साग । • सरसों का साग । • हरा पुदीना । • हरा धनिया । • गाजर । • चुकन्दर । • शलजम । • टमाटर । • नारंगी । • नींबू ।• मालटा । • मूली । • मूली के पत्ते । • काड लिवर ऑयल । • हाली बुटलिवर ऑयल सलाद । • सलाद । • चोकर सहित गेंहूं की रोटी । • सूर्य का प्रकाश । • नारियल । • मक्ख न । • घी । • दूध । • केला । • पपीता । • शाकाहारी भोजन ।
विटामिन डी से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:- . विटामिन ' डी ' का आविष्कार विड्स ने 1932 में किया था । • विटामिन ' ए ' की भांति विटामिन डी भी तेल और वसा में घुल जाता है पर पानी में नहीं घुलता । • जिन पदार्थो में विटामिन ' ए ' रहता है विशेषकर उन्हीं में विटामिन ' डी ' भी विद्यमान रहता है ।*
*विटामिन डी की कमी हो जाने पर आंतें कैल्शियम तथा फास्फोरस को चूसकर रक्त में शामिल नहीं कर पाती हैं । • सूर्य के प्रकाश में विटामिन ' डी रहता है । कुछ चिकित्सक घावों , फोड़ों तथा रसौलियों की चिकित्सा सूर्य के प्रकाश से करते हैं । • प्रातःकाल सूर्य के प्रकाश में लेटकर सरसों के तेल की मालिश पूरे शरीर पर की जाए तो शरीर को विटामिन ` डी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है । . सौर ऊर्जा से बने भोजन में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ' डी ' उपलब्ध होता है । • भोजन को थोड़ी देर तक सूर्य के प्रकाश में रख दिया जाये तो उसमें विटामिन ' डी ' पर्याप्त मात्रा में आ जाता है । • चर्म रोगों की चिकित्सा के लिए विटामिन ' डी ' अति उपयोगी है । इसलिए कई चर्म रोग सूर्य का प्रकाश दिखाने से ठीक हो जाते हैं । विटामिन डी का सूर्य से उतना ही सम्बंध है जितना शरीर का आत्मा से । • विटामिन ' डी मजबूत चमकीले दांतों के लिए अति आवश्यक • विटामिन ' डी हड्डियों को मजबूत बनाता है । • विटामिन डी की कमी से हड्डियां मुलायम हो जाती हैं । • विटामिन ' डी कमी से त्वचा खुश्क हो जाती है । • जो लोग अंधेरे स्थानों में निवास करते हैं वे विटामिन डी कमी के शिकार हो जाते हैं । . विटामिन डी की कमी से कूबड़ निकल आता है । . विटामिन डी की कमी से पेडू और पीठ की हड्डियां मुड़ जाती हैं या मुलायम हो जाती है । • ठण्डे मुल्कों के लोग विटामिन डी की कमी के शिकार रहते
• प्राचीनकाल में लोग खुले वातावरण में रहते थे इसलिए वे बहुत कम रोगों के शिकार होते थे । • श्वास रोगों को दूर करने के लिए विटामिन ' डी ' बहुत असरकारक साबित होता है । • गर्भावस्था में विटामिन डी की अत्यधिक आवश्यकता पड़ती है । यदि गर्भवती स्त्री को विटामिन डी की कमी हो जाये तो पैदा होने वाले बच्चे के दांत कमजोर निकलते हैं और जल्दी ही उनमें कीड़ा लग जाता है । • विटामिन ' डी के कारण दांतों में कीड़ा नहीं लगता । . शरीर में विटामिन डी की कमी से हड्डियों में सूजन आ जाती • गर्म देश होने के बाद भी भारत के लोगों में सामान्यत : कमजोर अस्थियों का रोग पाया जाता है । • केवल अनाज पर निर्भर रहने वाले लोग अक्सर अस्थिमृदुलता ( हड्डियों का कमजोर होना ) के शिकार हो जाते हैं । • बच्चे की खोपड़ी की हड्डियां तीन मास के बाद भी नर्म रहे तो समझना चाहिए कि विटामिन ' डी ' की अत्यधिक कमी हो रही . विटामिन ' डी ' की प्रचुर मात्रा शरीर में रहने से चेहरा भरा - भरा , चमक लिए रहता है । • पर्दे में रहने वाली अधिकांश स्त्रियां विटामिन डी की कमी की शिकार रहती हैं । . जिन रोगियों को विटामिन डी की कमी से अस्थिमदुलता तथा अस्थि शोथ रहता है वे अक्सर धनुवार्त के शिकार भी हो जाते . भारत में विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए बच्चे को बचपन से ही मछली का तेल पिलाना हितकारी होता है । . बच्चों , गर्भावस्था और दूध पिलाने की अवस्था में विटामिन ' डी ' का सेवन बहुत जरूरी होता है । • व्यक्ति को बचपन के बाद जवानी और बुढ़ापे में भी मछली का तेल नियमित रूप से पिलाते रहना चाहिए । इससे शरीर में विटामिन ' डी ' की पर्याप्त मात्रा बनी रहती है । • बुढ़ापे में विटामिन डी की कमी हो जाने पर जोड़ों का दर्द प्रारंभ हो जाता है । • विटामिन ' डी ' की कमी से हल्की सी दुर्घटना हो जाने पर भी हड्डियां टूट जाती हैं । . विटामिन डी की कमी से बच्चों की खोपड़ी बहुत बड़ी तथा चौकोर सी हो जाती है । • विटामिन ' डी ' की कमी से बच्चों के पुढे कमजोर हो जाते हैं । . विटामिन ' डी ' की कमी से बच्चों का चेहरा पीला , निस्तेज , कान्तिहीन दृष्टिगोचर होने लगता है । • विटामिन ' डी ' की कमी के कारण बच्चा बिना कारण रोता रहता है । . विटामिन डी की कमी से बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा उसको कुछ भी अच्छा नहीं लगता है । • यदि वयस्कों के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाये तो प्रारंभ में उनको कमर और कुल्हों की वेदना सताती है । • यदि वयस्कों को विटामिन - डी की अत्यधिक कमी हो जाये तो उनके पेडू और कूल्हे की हड्डियां मुड़कर कुरूप हो जाती हैं । • शरीर में विटामिन डी की कमी से सीढ़ियां चढ़ने पर रोगी को कष्ट होता है । . शीतपित्त रोग के पीछे शरीर में विटामिन डी की कमी होती है अत : इस रोग की औषधियों के साथ विटामिन ' डी ' का प्रयोग भी लाभ प्रदान करता है । • विटामिन ' डी ' की कमी को दूर करने के लिए कच्चा अण्डा प्रयोग करना हितकर होता है । • सर्दियों तथा बरसात के मौसम में बच्चों , बूढ़ों तथा जवानों को समान रूप से विटामिन ' डी ' की अधिक आवश्यकता रहती है । . विटामिन ' डी ' की अधिकता से दिमाग की नसें शक्तिशाली और लचीली हो जाती हैं । • विटामिन ' डी सब्जियों में नहीं पाया जाता है । • अण्डा , मक्खन , दूध , कलेजी में विटामिन ' डी ज्यादा मात्रा में रहता है । • ग्रामीण लोगों को सूर्य की किरणों से पर्याप्त विटामिन ' डी ' मिल जाता है । • ग्रामीण लोगों की अपेक्षा शहरी लोग अधिक विटामिन डी ' की कमी के शिकार होते हैं । • पुरुषों को प्रतिदिन 400 से 600 यूनिट विटामिन ' डी ' की आवश्यकता होती है । दूध पीते बच्चों को भी इतनी ही आवश्यकता होती है
• अस्थिशोथ ( रिकेट्स ) तथा निर्बलता में 4 से 20 हजार अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन ' डी ' की आवश्यकता होती है ।*
*कैल्शियमयुक्त खाद्य ( प्रति 100 ग्राम )*
खाद्य पदार्थ 100 ग्राम- कैल्शियम ( मिलीग्राम में )
कड़ी पत्ता 830 मिलीग्राम ,कांटेदार चौलाई 800 मिलीग्राम, चौलाई का साग 397 मिलीग्राम, शलगम का साग 790 मिलीग्राम, अरबी का साग 460 मिलीग्राम, मेथी का साग 395 मिलीग्राम, चुकन्दर की पत्तियां 380 मिलीग्राम ,मूली की पत्तियां 265 मिलीग्राम, पुदीना 200 मिलीग्राम ,रागी 344 मिलीग्राम ,राजमा 260 मिलीग्राम ,सोयाबीन 240 मिलीग्राम, चना साबूत 202 मिलीग्राम , भैंस का दूध 210 मिलीग्राम, गाय का दूध 120 मिलीग्राम, दही 149 मिलीग्राम