वासुदेवः सर्वम मान लें तो आपकी सब बाधाएँ मिट जायँगी- रामसुख दास जी महाराज

राम।।🍁



            🍁 *विचार संजीवनी* 🍁



साधकों की अनेक बाधाएं हैं पर आज दो बाधाओं पर विचार करते हैं। एक बाधा तो यह है कि 'यह मैं कर नहीं सकता ! यह मेरे से होगा नहीं !' यह बड़ी बाधा है ! ऐसा नहीं मानना चाहिये। मनुष्य नहीं करेगा तो कौन करेगा ? देवता, पशु-पक्षी, भूत-प्रेत-पिशाच आदि साधन नहीं कर सकते। मनुष्य ही साधन कर सकता है। दूसरी बाधा यह है कि कभी साधन ठीक दीखता है और कभी ठीक नहीं दीखता। कभी अपनी स्थिति अच्छी दीखती है, कभी अपनी स्थिति पहले की अपेक्षा गिरी हुई दीखती है। इन दोनों बाधाओं के निराकरण के लिये आज एक बात बताता हूँ।


*इस संसार को सन्सारबुद्धि से देखनेवाला साधक नहीं हो सकता। साधक वह हो सकता है, जो संसार को भगवान का ही स्वरूप समझे।* वास्तव में संसार परमात्मा ही है--  *'वासुदेवः सर्वम '* परमात्मा ही संसाररूप से प्रकट हुए हैं-- ऐसा मानने से उपर्युक्त दोनों बाधाएँ हट जाएंगी। इस  बात को आप स्वीकार लें कि हम समझें या न समझें , पर यह है परमात्मा का ही स्वरूप। *जो दीख रहा है, वह भगवान का स्वरूप है और जो क्रिया हो रही है, वह भगवान की लीला है।* अगर यह बात आप दृढ़ता से मान लें तो आपकी सब बाधाएँ मिट जायँगी।


राम !             राम !!            राम !!!


परम् श्रद्धेय स्वामी जी श्रीरामसुखदास जी महाराज
*परमप्रभु अपने ही महुँ पायो*, पृ. सं १०७