आगरा। जब भी कोई राष्ट्राध्यक्ष भारत दौरे पर आता है, तो वो ताज के दीदार को उत्सुक होते हैं, लेकिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी दो बार आगरा आए, लेकिन ताजमहल के मुख्य गुंबद के अंदर नहीं गए और न ही विजिटर बुक में कुछ लिखा। हालांकि उनकी लिखी कविता ताजमहल के बारे में बहुत कुछ बयां करती हैं।
बात 43 साल पहले की है, जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री लियोनार्ड जेम्स केलघन 1977 में ताजमहल देखने आए थे। तब विदेश मंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी उनके स्वागत के लिए ताजमहल पहुंचे थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ अटल बिहारी वाजपेयी ने विजिटर बुक पर हस्ताक्षर तो किए, लेकिन कोई टिप्पणी नहीं की।
उस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के वरिष्ठ संरक्षण सहायक रहे डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि अटलजी ने कमेंट लिखने के उनके आग्रह पर कहा कि ताजमहल पर लिखी उनकी कविता पढ़ लेना।
अटल जी की कविता न तो ताजमहल की खूबसूरती पर है, और न ही मुमताज के लिए शाहजहां के प्यार पर आधारित है। यह कविता उन श्रमिकों पर आधारित थी, जिन्होंने भव्य इमारत का निर्माण किया था।
कविता के कुछ अंश
'यह ताजमहल, यह ताजमहल
यमुना की रोती धार विकल
कल कल चल चल
जब रोया हिंदुस्तान सकल
तब बन पाया ताजमहल
यह ताजमहल, यह ताजमहल..!!'
अटल बिहारी वाजपेयी इसके बाद प्रधानमंत्री के रूप में 15 जुलाई 2001 को पाकिस्तानी राष्ट्रपति रहे परवेज मुर्शरफ के साथ आगरा शिखर वार्ता के लिए आगरा आए थे, लेकिन तब वो ताजमहल नहीं गए।