नई दिल्ली : सियाचिन लद्दाख डोकलाम जैसे अधिक ऊंचाई में तैनात सैनिकों को जरूरत के मुताबिक कैलरी नहीं मिल पाई. साथ ही उन्हें वहां जिस तरह के खास कपड़ों की जरूरत होती है, उसकी खरीद में भी काफी देर की गई. पुराने स्पेसिफिकेशन के कपड़े और उपकरण मिलने से सैनिकों को बेहतर कपड़े और उपकरण नहीं मिले. सीएजी की यह रिपोर्ट 2017-18 के दौरान की है, जिसे संसद में सोमवार को पेश किया गया. इन इलाकों में तैनात सैनिकों को विशेष राशन दिया जाता है.
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि बेसिक आइटम की जगह पर महंगे आइटम लेने से सैनिकों को मिलने वाली कैलरी की मात्रा कम हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना की ईस्टर्न कमांड ने तो ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया, लेकिन नॉदर्न कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के जरिए खरीद की गई.
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, हाई एल्टीट्यूट एरिया में तैनात सैनिकों के वहां की जरूरतों के हिसाब के कपड़े खरीदने के लिए मंत्रालय ने 2007 में एक एंपावर्ड कमिटी बनाई, ताकि क्लोदिंग आइटम की खरीद में तेजी आ सके, लेकिन इसके बावजूद चार साल तक की देरी हुई. रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से लिए जाने वाले सामान को मिलने में भी देरी हुई. खरीदने की प्रक्रिया में हुई देरी और कॉन्ट्रैक्ट के बाद भी सामान मिलने में हुई देरी से वहां तैनात सैनिकों को जरूरी कपड़े और उपरकण की भारी कमी झेलनी पड़ी. फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए, जिससे सैनिकों को अच्छे सामान नहीं मिले. खरीद प्रक्रियाओं में देरी की वजह से सैनिकों की सेहत पर असर पड़ा.