नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मामले को लेकर 9 जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की. अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार (6 फरवरी) को होगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने आज कहा कि हम मुद्दों को फ्रेम करेंगे, जिसमें यह तय करेगी कि पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ प्रश्नों को फ्रेम कर सकती है या नहीं और मामले को बड़ी पीठ भेज सकती है या नहीं. अदालत ने इसके बाद ही इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी.
इस दौरान पीठ ने बड़ी टिप्पणी करके हुए कहा, 'हम यहां सबरीमला पुनर्विचार के लिए नहीं हैं बल्कि हम यहां कई बड़े मुद्दे को तय करने के लिए बैठे हैं. जिसमें सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग की मांग जैसे मुस्लिम महिलाएं भी मस्जिद में प्रवेश मांग रही हैं.'केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की शुरुआत की सॉलिसीटर तुषार मेहता ने कहा कि सभी पक्षों में सवालों को लेकर सहमति नही बन पाई है.पीठ को सवाल खुद तय करने चाहिए जिसपर सुनवाई हो. सवाल जरूरी नही की खुली अदालत में तय हो सवाल को इन चैंबर तय किया जा सकता है. पक्षकारों की ओर वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने पांच जजों के संविधान पीठ द्वारा बडी बेंच को भेजे जाने पर सवाल उठाया, कहा कि क्या इस मामले में पुर्विचार करते समय इस क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किया जा सकता है?
सीजेआई ने कहा कि सबरीमला मामले को पांच जजों की बेंच ने 9 जजों की बेंच को रेफर किया था. जिसमें सबरीमला ही नही ऐसे दूसरे मुद्दे भी है. वकील राजीव धवन ने कहा कि सबरीमाला मंदिर मामले की सुनवाई न तो टाली जा सकती है और न ही लंबित रखी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट इसे लंबित नहीं रख सकता.
पिछली सुनवाई में 9 जजों की पीठ ने साफ़ किया कि वो सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर के साथ साथ मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश और एक गैर-पारसी से शादी करने वाली पारसी महिलाओं को 'अगियारी' में प्रवेश पर रोक और दाउदी बोहरा समुदाय के बीच महिलाओं के खतना की परंपरा पर भी सुनवाई करेंगे.