।। राम-राम ।।
*प्रश्न - अगर परिवार में एक व्यक्ति मदिरापान करता है तो उसके संगके कारण पूरे परिवार को महापाप लगेगा क्या?*
*उत्तर -* नहीं। परिवारवालोंकी दृष्टिमें वह कुटुम्बी है; अतः वे मदिरा पीने वाले का संग नहीं करते, प्रत्युत परवशता से कुटुम्बी का संग करते हैं।ऐसे ही अगर पति मदिरा पीता हो और स्त्री को रात-दिन उसके साथ रहना पड़ता है तो स्त्री को महापाप नहीं लगेगा; क्योंकि वह मदिरा पीनेवालेका संग नहीं करती, प्रत्युत परवशता से पति का संग करती है। रुचिपूर्वक संग करने से ही कुसंग का दोष लगता है।
*प्रश्न- जो पहले अनजान में मदिरा पीता रहा है, पर अब होशमें आया है तो वह महापाप से कैसे शुद्ध हो ?*
*उत्तर-* वह सच्चे ह्रदयसे पश्चाताप करके मदिरा पीना सर्वथा छोड़ दे और निश्चय कर ले कि आजसे मैं कभी भी मदिरा नहीं पीऊँगा तो उसका सब पाप माफ हो जायगा। जीव स्वतः शुद्ध है - *'चेतन अमल सहज सुखरासी।।* अतः अशुद्धीको छोड़ते ही उसको नित्यप्राप्त शुद्धी प्राप्त हो जायगी, वह शुद्ध हो जायगा।
*"साधन-सुधा-सिन्धु"*
( लेखक श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज )
*महापाप से बचो लेख से लिया गया। पृष्ठ संख्या ९५५