नई दिल्ली: निर्भया के गुनहगार कानून की कमियों का फायदा उठाकर फांसी की तारीख टलवाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच, फांसी की सजा के मामले में जल्द सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा तय की है. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई 6 महीने के भीतर शुरू होगी. नई व्यवस्था के मुताबिक, अगर हाइकोर्ट फांसी की सजा की पुष्टि करता है और सुप्रीम कोर्ट इसकी अपील सुनवाई के लिए मंजूर कर लेता है तो 6 महीने के भीतर मामले को 3 जजों की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा, भले ही अपील तैयार हो या नहीं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री इस संबंध में फांसी की सजा सुनाने वाली अदालत को इसकी सूचना देगी और 60 दिनों के भीतर केस संबंधी सभी रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट भेजा जाएगा या जो समय अदालत तय करे.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को निर्भया के गुनहगारों के फांसी में हो रही देरी से जोड़कर देखा जा सकता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया के गुनहगारों की फांसी की सजा पर 13 मार्च 2014 को मुहर लगा दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सुनवाई और फैसला आने में करीब 5 साल लग गए थे. 18 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी चार गुनहगारों की अपील खारिज कर दी थी. निर्भया मामले का ट्रायल फास्ट ट्रैक हुआ था. ट्रायल कोर्ट ने 10 सितंबर 2013 को एक साल से भी कम समय में फैसला सुना दिया था. हाईकोर्ट ने भी एक साल से कम समय लिया था जबकि सुप्रीम कोर्ट में 5 साल लग गए थे.