माहवारी (मासिक-धर्म) सम्बंधी परेशानियां

माहवारी (मासिक-धर्म) सम्बंधी परेशानियां


परिचय


लड़कियां जब यौवनास्था में प्रवेश करने लगती हैं तो पहली बार मासिक-धर्म या माहवारी प्रारम्भ होती है। यह योनिमार्ग से महीने में 1 बार एक निश्चित अवधि में हुआ करती है जो प्राय: 3-4 दिनों तक रहता है। कई स्त्रियों के यह 6 से 7 दिन तक रहकर बंद हो जाता है। 


लक्षण


भूख का न लगना, बार-बार उल्टी की इच्छा होना, जरायु (गर्भाशय) के स्थान में दर्द, स्तनों में दर्द, दिल की धड़कन का तेज होना, सांस लेने में कष्ट, नींद न आने की शिकायत, कमर में दर्द, हर समय थकावट के कारण आलस्य, पेट में दर्द और शरीर में एलर्जी की शिकायत आदि मासिक-धर्म के विकार से सम्बन्धित लक्षण हैं। 


कारण


अधिक शारीरिक परिश्रम करना, शरीर में खून की कमी, मैथुन में पूर्ण संतुष्ट न होना, अधिक ठंडी वस्तुओं का सेवन करना, शरीर को ठंड लग जाना, थकावट, शोक, क्रोध, भावुकता, ईर्ष्या और असमय भोजन करना आदि बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिसके कारण से या तो माहवारी रुक जाती है। यह माहवारी देर से आती है।


इसी प्रकार कभी-कभी माहवारी ज्यादा भी आती है। गर्भाशय के पलट जाने, दुर्बलता, पीलिया, गठिया का रोग, जरायु (जरायु) में खून का इकट्ठा होना तथा अधिक संभोग के कारण इस रोग की शिकायत हो जाती है। 


आयुर्वेद से इलाज


1. बबूल:100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है और मासिक-धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है।बबूल का भूना हुआ गोंद 4.5 ग्राम और गेरू 4.5 ग्राम, इनको पीसकर प्रात:काल फंकी लेने से मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।बबूल की 20 ग्राम छाल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इसे उतारकर ठंडा कर लें। बस काढ़ा तैयार हो गया। इस काढ़े को दिन में 3 बार पिलाने से मासिक-धर्म में अधिक खून का बहना बंद हो जाता है।2. तिल: तिल 5 ग्राम, 8 दाने कालीमिर्च, एक चम्मच पिसी सोंठ, 4 दाने छोटी पीपल। सभी को एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पीने मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायतें दूर हो जाती हैं।


3. मेथी: 50 ग्राम मेथी के बीज और 40 ग्राम मूली के बीजों को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर नियमित रूप से 2-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिक-धर