लौंग एक इलाज अनेक

       लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। लौंग के पेड़ बहुत बड़े होते हैं। इसके पेड़ को लगाने के आठ या नौ वर्ष के बाद ही फल देते है। इसका रंग काला होता है। यह एक खुशबूदार मसाला है। जिसे भोजन में स्वाद के लिए डाला जाता है। लौंग दो प्रकार की होती है। एक तेज सुगन्ध वाली दूसरी नीले रंग की जिसका तेल मशीनों के द्वारा निकाला जाता है जो लौंग सुगन्ध में तेज, स्वाद में तीखी हो और दबाने में तेल का आभास हो उसी लौंग का अच्छा मानना चाहिए।


          लौंग का तेल पानी की तुलना में भारी होता है। इसका रंग लाल होता है। सिगरेट की तम्बाकू को सुगन्धित बनाने के लिए लौंग के तेल का उपयोग होता है। लौंग के तेल को औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। इसके तेल को त्वचा पर लगाने से त्वचा के कीड़े नष्ट होते हैं।
हानिकारक : ज्यादा लौंग खाने से गुर्दे और आंतों को नुकसान पहुंच सकता है।


दोषों को दूर करने वाला :  बबूल का गोंद, लौंग में व्याप्त दोषों को दूर करता है।


मात्रा : 1 ग्राम से 3 ग्राम तक।


गुण :


          आयुर्वेदिक मतानुसार लौंग तीखा, लघु, आंखों के लिए लाभकारी, शीतल, पाचनशक्तिवर्द्धक, पाचक और रुचिकारक होता है। यह प्यास, हिचकी, खांसी, रक्तविकार, टी.बी आदि रोगों को दूर करती है। लौंग का उपयोग मुंह से लार का अधिक आना, दर्द और विभिन्न रोगों में किया जाता है। यह दांतों के दर्द में भी लाभकारी है।


यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार : लौंग खुश्क, उत्तेजक और गर्म है। इसको खाने से सिर दर्द होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ाता है। दांतों और मसूढ़ों को मजबूत बनाता है। इसको पीसकर मालिश करने से जहर दूर होता है।


वैज्ञानिक मतानुसार : लौंग गर्म होता है। यह पेट के दर्द को मिटाने वाला माना जाता है। गर्भवती स्त्रियों को उल्टी होने पर लौंग को गर्म पानी में भिगोकर उसका पानी पिलाने से लाभ होता है। इसके तेल की मालिश का असर सामान्य कपूर के तेल के समान होता है। इसका आसव बनाकर उसमें से सुगन्धित पदार्थ तैयार किये जाते हैं। कोको, चाकलेट, आइसक्रीम आदि खाद्य-पदार्थों में पाया जाने वाला बनावटी वेनीला एसेन्स लौंग से ही तैयार किया जाता है।


लौंग की पहचान : व्यापारी लौंग में तेल निकाला हुआ लौंग मिला देते है। अगर लौंग में झुर्रिया पड़ी हो तो समझे कि यह तेल निकाली हुई लौंग है।


विभिन्न रोगों में सहायक :      


1. बेहोशी:


लौंग घिसकर अंजन करने से बेहोशी दूर होती है।
लौंग को घी या दूध में पीसकर आंखों में लगाने से हिस्टीरिया की बेहोशी दूर हो जाती है।
2. जुकाम:


लौंग का काढ़ा पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
2 बूंद लौंग के तेल की लेकर 25-30 ग्राम शक्कर में मिलाकर सेवन करने से जुकाम समाप्त हो जाता है।
लौंग के तेल को रूमाल पर डालकर सूंघने से जुकाम मिटता है।
100 मिलीलीटर पानी में 3 लौंग डालकर उबाल लें। उबलने पर जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसके अन्दर थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
पान में 2 लौंग डालकर खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।
3. रतौंधी: 1 लौंग को बकरी के दूध के साथ पीसकर सुरमे की तरह आंखों में लगाने से धीरे-धीरे लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।


4. बुखार: 1 लौंग पीसकर गर्म पानी से फंकी लें। इस तरह रोज 3 बार यह प्रयोग करने से सामान्य बुखार दूर होता है।


5. आंख पर दाने का निकलना: आंखों में दाने निकल जाने पर लौंग को घिसकर लगाने से वह बैठ जाती है।


6. दांतों के रोग:


दांत में कीड़े लगने पर लौंग को दांत के खोखले स्थान में रखने से या लौंग का तेल लगाने से लाभ मिलता है।
रूई को लौंग के तेल में भिगोकर दर्द वाले दांत के नीचे रखें तथा लार को नीचे गिरने दें।
लौंग को आग पर भूनकर दांतों के गड्ढे में रखने से दांतों का दर्द खत्म होता है।
लौंग के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दर्द वाले दांतों पर लगाने से दर्द में आराम रहता है।
5 लौंग पीसकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर दांतों पर मलने से दांतों के दर्द में लाभ होता है अथवा 5 लौंग 1 गिलास पानी में उबालकर इससे रोजाना 3 बार कुल्ला करने से लाभ होता है।
7. प्रमेह: लौंग, जायफल और पीपल को 5 ग्राम लेकर 20 ग्राम कालीमिर्च और 160 ग्राम सोंठ मिलाकर पाउडर बना लें। बाद में पाउडर में उसी के बराबर शक्कर डालकर खायें। इससे खांसी, बुखार, भूख का न लगना, प्रमेह, सांस रोग और ज्यादा दस्त का आना खत्म होता है।


8. सूखी या गीली खांसी:


सुबह-शाम दो-तीन लौंग मुंह में रखकर रस चूसते रहना चाहिए।
लौंग या विभीतक फल मज्जा को घी में तलकर रख लेना चाहिए। इसे खांसी आने पर चूसना चाहिए इससे सूखी खांसी में लाभ होता है।
लौंग और अनार के छिलके को बराबर पीस लें, फिर इसे चौथाई चम्मच भर लेकर आधे चम्मच शहद के साथ दिन में 3 बार चाटें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।
9. भूख न लगना: आधा ग्राम लौंग का चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ रोज सुबह चाटना चाहिए। थोडे़ ही दिनों में भूख अच्छी तरह लगने लगती है।


10. गर्भवती स्त्री की उल्टी:


गर्भवती स्त्रियों की उल्टी पर 1 ग्राम लौंग का पाउडर अनार के रस के साथ देना चाहिए।
गर्भवती की मिचली में लौंग का चूर्ण शहद के साथ बार-बार चाटने से जी मिचलाना, उल्टी आदि सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसे प्रतिदिन 120 ग्राम से 240 ग्राम की मात्रा में दो बार चाटना चाहिए।
लौंग एक ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से गर्भवती की उल्टी बंद हो जाती है।
11. बुखार में खूब प्यास लगना: थोड़े से पानी में चार लौंग डालकर पानी को उबालें, जब आधा शेष बचे तो इसे बार-बार पीने से बुखार दूर होता है।


12. पेट दर्द और सफेद दस्त: लौंग के पाउडर को शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है।


13. जीभ कटने पर: पान खाने से अगर जीभ कट गई हो तो एक लौंग को मुंह में रखने से जीभ ठीक हो जाती है।


14. सिर दर्द:


लौंग को पीसकर लेप करने से सिरदर्द तुरन्त बंद हो जाता है। इसका तेल भी लगाया जाता है या 5 लौंग पीसकर 1 कप पानी में मिलाकर गर्म करें जब आधा बच जाये तो उसे छानकर चीनी मिलाकर पिलायें। इसका सेवन शाम को और सोते समय 2 बार करते रहने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
6 ग्राम लौंग को पानी में पीसकर गर्मकर गाढ़ा लेप कनपटियों पर लेप करने से सिर का दर्द दूर होता है।
लौंग के तेल को सिर और माथे पर लगायें या नाक के दोनों ओर के नथुनों में डालें। इससे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
2 से 3 लौंग के साथ लगभग 480 मिलीग्राम अफीम को जल में पीसकर गर्म करके सिर पर लेप करने से हवा और सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।
1 या 2 ग्राम लौंग और दालचीनी को मैनफल के गूदे के साथ देने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। इसको अधिक मात्रा में सिर दर्द के रोगी को नहीं देना चाहिए क्योंकि अधिक मात्रा में लेने से रोगी को उल्टी हो सकती है।
लगभग 5 लौंग लेकर उसको एक कप पानी में पीसकर गर्म करें और आधा कप पानी रहने पर छानकर चीनी मिला दें। इसे सुबह और शाम को दो-चार बार पिलाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
15.  पेट की गैस:


2 लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें। फिर कुछ ठंडा होने पर पी लें। इस प्रकार यह प्रयोग रोजाना 3 बार करने से पेट की गैस में फायदा मिलेगा।
आधे कप पानी में 2 लौंग डालकर पानी में उबाल लें। फिर ठंडा करके पीने से लाभ होगा।
16. अम्लपित्त:


अम्लपित्त से पाचनशक्ति खराब रहती है। बूढ़े होने से पहले दांत भी गिरने लगते हैं। आंखे दुखने लगती हैं और बार-बार जुकाम लगा रहता है। इस प्रकार अम्लपित्त से अनेक रोग पैदा होते हैं। अम्लपित्त के रोगी को चाय काफी नुकसानदायक होती है। इस अवस्था में खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से या शर्बत में लेने से अम्लपित्त से पैदा होने वाले सारे रोगों में फायदा होता है और अम्लपित्त ठीक हो जाता है अथवा 15 ग्राम हरे आंवलों का रस 5 पिसी हुई लौंग, 1-1 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर रोगी को सेवन करायें। ऐसे रोज सुबह, दोपहर और शाम को 3 बार खाने से कुछ ही दिनों में फायदा होता है।
सुबह और शाम भोजन के बाद 1-1 लौंग खाने से आराम आता है।
लौंग को खाना खाने के बाद गोली के रूप में चूसने से पेट की अम्लपित्त की शिकायत समाप्त होती है।
17. नासूर: लौंग और हल्दी पीसकर लगाने से नासूर के रोगी का रोग दूर हो जाता है।


18. हैजा:


लौंग का पानी बनाकर रोगी को देने से प्यास और उल्टी कम होती है और पेशाब भी खुलकर आता है।
लौग के तेल की 2-3 बूंदे चीनी या बताशे में देने से हैजा की उल्टी और दस्तों में लाभ होता है। इसके तेल के सेवन करने से पेट की पीड़ा, अफरा, वायु और उल्टी दूर होती है।
19. पित्तज्वर: 4 लौंग पीसकर पानी में घोलकर रोगी को पिलाने से तेज ज्वर कम होता है।


20. आन्त्रज्वर (टायफाइड): इसमें लौंग का पानी पिलाना फायदेमंद है। 5 लौंग 2 किलो पानी में उबालकर आधा पानी शेष रहने पर छान लें। इस पानी को रोगी को रोज बार-बार पिलायें। सिर्फ पानी भी उबालकर ठंडा करके पिलाना फायदेमंद है।


22. सर्दी लगना: लौंग का काढ़ा बनाकर खाने से या लौंग के तेल की 2 बूंद चीनी में डालकर खाने से सर्दी खत्म होती है।


23. मुंह की बदबू: लौंग को मुंह में रखने से मुंह और सांस की बदबू दूर होती है।


24. दिल की जलन: 2-4 पीस लौंग को ठंडे पानी में पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से दिल की जलन शांत होती है।


25. जी मिचलाना: 2 लौंग पीसकर आधा कप पानी में मिलाकर गर्म करके पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है। लौंग चबाने से भी जी मिचलाना ठीक हो जाता है।


26. दांतों का दर्द:


5 ग्राम नींबू के रस में 3 लौंग को पीसकर मिला लें। इसे दांतों पर मलें और खोखल में लगायें। इससे दांतों का दर्द नष्ट होता है।
लौंग के तेल में रूई भिगोकर दांतों में लगाने तथा खोखल में रखने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
27. दमा या श्वास रोग:


दो लौंग को 150 मिलीलीटर पानी में उबालें और इस पानी को थोड़ी सी मात्रा में पीने से अस्थमा और श्वास का रुकना खत्म हो जाता है।
मुंह में लगातार लौंग रखकर चूसना चाहिए। इससे दमा का रोग दूर हो जाता है।
लौंग तथा कालीमिर्च का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर त्रिफला तथा बबूल के रस के काढ़े में घोलकर दो चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
लौंग, त्रिगुणा, नागरमोथा काकड़ासिंगी, बहेड़ा और रीगणी को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर रख लें, इसे ग्वारपाठे के रस में मिलाकर चने के बराबर आकार की गोली बना लें। इसकी एक गोली सुबह और एक गोली शाम को लेने से दमा में लाभ मिलता है।
लौंग मुंह में रखने से कफ आराम से निकलता है तथा कफ की दुर्गंध दूर हो जाती है। मुंह और श्वास की दुर्गंध भी इससे मिट जाती है।
28. फेफड़ों की सूजन: लौंग का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद व घी को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी और श्वांस सम्बंधी पीड़ा दूर हो जाती है।


29. अंजनहारी, गुहेरी: लौंग को पानी के साथ घिसकर गुहेरी पर लगाने से गुहेरी समाप्त हो जाती है। बस शुरूआत में थोड़ी जलन महसूस होती है।


30. दांत मजबूत करना: दांतों में कमजोरी के कारण दांत हिलने तथा टूटने लगते हैं। इस तरह की परेशानी में कालीमिर्च 50 ग्राम और लौंग 10 ग्राम को पीसकर मंजन बनाकर रोजाना मंजन करें। इससे दांत मजबूत होते हैं।


31. पायरिया:


लौंग के तेल में खस और इलायची को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम दांतों पर मलने से पायरिया ठीक होकर मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
5 से 6 बूंद लौंग का तेल 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर गरारे व कुल्ले करने से पायरिया रोग नष्ट होता है।
32. दांत के कीड़े: कीड़े लगे दांतों के खोखल में लौंग के तेल को रूई में भिगोकर रखें। इससे दांत के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द कम होता है।


33. काली खांसी:


तवे को आग पर रखकर लौंग को भून लें, फिर उस लौंग को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।
थोड़ी सी लौंग तवे पर भूनकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। इस लौंग के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी दूर हो जाती है।
बच्चों की काली खांसी में 30 से 60 मिलीग्राम गोलोचन को सुबह-शाम शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है। सावधानी यह रहे कि गोलोचन शुद्ध होना चाहिए क्योंकि मार्केट में यह बहुत अधिक मात्रा में नकली पाये जाते हैं।
34. खांसी:


2 लौंग गर्म मसाने वाली को तवे पर भूनकर (गर्म तवे पर लौंग 1 मिनट में ही फूलकर मोटी हो जाएगी तभी उतार लेते हैं।) तथा पीसकर 1 चम्मच दूध में मिलाकर गुनगुना सा ही बच्चों को सोते समय पिला देने से खांसी से छुटकारा मिल जाता है।
10 ग्राम लौंग, 10 ग्राम जायफल, 10 ग्राम पीपल, 20 ग्राम मिर्च, 160 ग्राम सोंठ और 210 ग्राम बूरे का चूर्ण बनाकर गोली बना लें। इन गोलियों के सेवन से खांसी, बुखार, अरुचि, प्रमेह, गुल्म, श्वास, मंदाग्नि तथा ग्रहणी के रोग में तुरन्त लाभ मिलता है।
लौंग, कालीमिर्च, बहेड़े की छाल और कत्था को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसके बाद उसे बबूल की छाल के काढ़े में डालकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को मुंह में रखकर चूसने से खांसी, श्वास, बुखार तथा नजला-जुकाम का रोग भी दूर हो जाता है।
1 भाग लौंग और 2 भाग अनार के छिलके को मिलाकर पीसकर इनका चौथाई चम्मच आधे चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 3 बार चाटने से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
10-10 ग्राम लौंग, इलायची, खस, चंदन, तज, सोंठ, पीपल की जड़, जायफल, तगर, कंकोल, स्याह जीरा, शुद्ध गुग्गुल, पीपल, वंशलोचन, जटामांसी, कमलगट्टा, नागकेशर, नेत्रवाला सभी को लेकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इसमें उड़ाया हुआ कपूर 6 ग्राम की मात्रा में मिला दें। इस मिश्रण को शहद से अथवा मिश्री से दोनों समय सेवन करने से हिचकी अरुचि, खांसी तथा अतिसार का रोग मिट जाता है।
खांसी में हल्का भुना हुआ लौंग चूसने से लाभ मिलता है।
10-10 ग्राम लौंग, पीपल, जायफल, कालीमिर्च, सोंठ तथा धनिया को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर शीशी में भर लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह, दोपहर और शाम को शहद के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
35. अफारा (पेट का फूलना):


3 ग्राम लौंग को 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। फिर छानकर इस पानी को पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) समाप्त होता है।
120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम तक लौंग की फांट या चूर्ण को रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से अफारा में लाभ होता है।
मिश्री में 1 से 3 बूंद लौंग के तेल या गोंद को मिलाकर सेवन करने से अफारा मिटता है।
36. जीभ और त्वचा की सुन्नता: पान खाने से या किसी अन्य कारण से जीभ फट गई हो तो एक लौंग मुंह में रखें। इससे रोग में आराम रहता है।


37. कब्ज: लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीसकर छानकर नींबू के रस में डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।


38. वमन (उल्टी):


4 लौंग को पीसकर 1 कप पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। जब उबलता हुआ पानी आधा रह जाये तो उसे छानकर स्वाद के मुताबिक उसमें चीनी मिलाकर पी लें और सो जायें। पूरे दिन में इस तरह चार बार इस पानी को पीने से उल्टियां आना बंद हो जाती हैं।
अगर उल्टियां बंद नहीं हो रही हो तो 2 लौंग और थोड़ी सी दालचीनी लेकर 1 कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा बाकी रह जाये तो पानी को छानकर रोगी को जब भी उल्टी आये पिलाते रहें। इससे थोड़े समय में ही उल्टियां आना बंद हो जायेंगी।
यदि गर्भावस्था में उल्टी आती हो तो 2 लौंग को पीसकर शहद के साथ गर्भवती स्त्री को चटाने से उल्टी आना बंद हो जाती है। 2 लौंग को आग पर गर्म करके जब भी उल्टी हो चूसें। इससे उल्टी बंद हो जाती है।
2 लौंग को पानी में डालकर उबाल लें। फिर उस पानी को ठंडा होने पर इसमें मिश्री डालकर रोगी को पिलाकर सुला दें। इससे कुछ समय में ही उल्टी का रोग समाप्त हो जाता है।
अगर जी मिचलाता (उबकाई) हो तो लौंग को मुंह में रखकर चूसते रहने से लाभ होता है।
लौंग और दालचीनी का काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
लगभग 25 ग्राम खील, 5 दाने लौंग, 5 छोटी इलायची और 25 ग्राम मिश्री को आधे लीटर पानी में डालकर उबालने के लिए आग पर रख दें। जब 10-12 बार पानी में उबाल आ जाये तो पानी को आग पर से उतारकर छान लें इस पानी को थोड़ा-थोड़ा पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
शहद में लौंग और अजमोद का चूर्ण मिलाकर खाने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
39. गर्भनिरोध: नियमित रूप से सुबह के समय 1 लौंग का सेवन करने वाली को स्त्री के गर्भधारण करने की संभावना समाप्त हो जाती है।


40. मुंह के छाले: लौंग अथवा लौंग और इलायची को मिलाकर चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।


41. मुंह का बिगड़ा स्वाद: मुंह का स्वाद खराब होने पर लौंग को मुंह में रखकर चबाते रहने से स्वाद ठीक हो जाता है।


42. दस्त: 7 लौंग, हींग, चना और सेंधानमक को पीसकर रख लें। इसे 2 ग्राम लेकर गर्मी के दिनों में ठंडे पानी से और सर्दी के दिनों में गर्म पानी के साथ पीने से लाभ होता है।


43. मुंह की दुर्गन्ध: लौंग को हल्का भूनकर चबाते रहने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।


44. नपुंसकता: लौंग 8 ग्राम, जायफल 12 ग्राम, अफीम शुद्ध 16 ग्राम, कस्तूरी 240 मिलीग्राम इनको कूट-पीस लें, फिर इसमें शहद मिलाकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर रख लें। इसकी 1 गोली पान में रखकर खाने से स्तम्भन होता है। अगर स्तम्भन ज्यादा हो जाये तो खटाई खाने से स्खलन हो जायेगा।


45. हिचकी का रोग: 2 लौंग मुंह में रखकर उसे कुचलते हुए चूसने से हिचकी में लाभ होता है।


46. कमरदर्द: लौंग के तेल की मालिश करने से कमर दर्द के अलावा अन्य अंगों का दर्द भी मिट जाता है। इसके तेल की मालिश नहाने से पहले करनी चाहिए।


47. अग्निमान्द्यता:


लौंग और हरड़ को एक कप पानी में उबाल लें, जब पानी आधा कप रह जाए, तो उसमें एक चुटकी सेंधानमक मिलाकर पीने से अपच, अग्निमान्द्य, पेट का भारीपन, खट्टी डकारें समाप्त होती हैं।
2 लौंग और 1 लाल इलायची को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें।
4 लौंग और 2 हरड़ को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अग्निमान्द्यता दूर हो जाती है।
48. कफ:


3 ग्राम लौंग 100 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई रह जाये तो इसे उतारकर ठंडा करें और पी लें। इससे कफ का रोग दूर हो जाता है।
लौंग के तेल की तीन चार बूंद बूरा या बताशे में गेरकर सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
49. प्यास अधिक लगना:


प्यास की तीव्रता होने पर दो गिलास उबले पानी में 3 लौंग डालकर पानी को ठंडा करके पिलायें। इससे प्यास कम हो जाती है।
बुखार या हैजा में प्यास अधिक लगने पर दो लौंग को 250 मिलीलीटर पानी में 10 मिनट तक उबालें। इस उबले पानी को 60 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार लें या तेज प्यास में 10-15 मिनट पर घूंट-घूंट करके पानी पीने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
50. पाचन क्रिया का खराब होना: लौंग 10 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह पीसकर इसमें एक ग्राम सेंधानमक मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को एक स्टील के बर्तन में रखकर ऊपर से नींबू का रस डाल दें। जब यह सख्त हो तब इसे छाया में सुखाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद सुबह और शाम पानी के साथ लें।


51. शीतपित्त: चार लौंग पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त के कारण उत्पन्न बुखार दूर होता है।


52. नाक के रोग: लौंग को गर्म पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द और जुकाम ठीक हो जाता है।


53. आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी:


लगभग 5 ग्राम लौंग को पानी के साथ पीसकर उसको हल्का सा गर्म करके कनपटियों पर लेप करने से आधे सिर का दर्द मिट जाता है।
10 ग्राम लौंग और लगभग 10 ग्राम तम्बाकू के पत्तों को पानी के साथ पीसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधासीसी का रोग दूर हो जाता है।
54. पेट में दर्द:


लौंग का चूर्ण 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम सुबह और शाम सेवन करने से पेट की पीड़ा में लाभ होता है।
1 लौंग को दिन में 2 बार (सुबह-शाम) खाना खाने के बाद चूसने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) की बीमारी और उससे होने वाली बीमारियों में लाभ होता है। लौंग के उपयोग से आमाशय शक्तिशाली होता है तथा यह, भूख न लगना, पेट के कीड़े, बलगम, श्वास (सांस) की बीमारी और वात आदि के रोगों में लाभकारी है।
लौंग का तेल 1 से 3 बूंद मिश्री में डालकर या गोंद में मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
10 लौंग, 2 चुटकी कालानमक, आधी चुटकी हींग को पीसकर  सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
55. गठिया रोग: लौंग, भुना सुहागा, एलुवा एवं कालीमिर्च 5-5 ग्राम को कूट-पीस लें और घीग्वार के रस में मिलाकर चने के आकार के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। उसके बाद एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से गठिया का रोग नष्ट हो जाता है।


56. योनि रोग: लौंग को पीसकर घोड़ी के दूध में मिलाकर सुखा लें। इसके बाद इसे पीसकर योनि में रखने से योनि का आकार संकुचित होकर योनि छोटी हो जाती है।


57. चक्कर आना: सबसे पहले दो लौंग लें और इन लौंगों को दो कप पानी में डालकर उबालें फिर इस पानी को ठंडा करके चक्कर आने वाले रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।


58. हृदय की दुर्बलता:


लौंग को पीसकर मिश्री मिलाकर शर्बत बनायें। इसके पीने से हृदय की जलन मिट जाती है।
चार लौग को पानी में पीसकर शक्कर मिलाकर सेवन करें। इससे हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है।
सर्दी में हृदय रोग होने पर 21 लौंग, तुलसी के 7 पत्ते, 5 कालीमिर्च तथा 4 बादाम। इन सबको पानी में पीसकर शर्बत बना लें। फिर इसमें थोड़ा शहद डालकर पी जाएं। यह शर्बत हृदय को शक्ति प्रदान करेगा।
59. पसलियों का दर्द: लौंग को मुंह में रखकर चूसने से खांसी कम होती है तथा कफ आराम से निकल जाती है। खांसी, दमा श्वास रोगों में लौंग के सेवन से लाभ पहुंचता है।


60. खसरा:


खसरा निकलने पर दो लौंग पानी में घिसकर बच्चे को चटाना चाहिए।
खसरा निकलने पर 2 लौंग को घिसकर शहद के साथ प्रयोग कराने से खसरा रोग ठीक होता है।
खसरे के रोग में बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगती है। बार-बार पानी पीने से उसे वमन (उल्टी) होने लगती है। ऐसी हालत में पानी को उबालते समय उसमें दो-तीन लौंग डाल दें। फिर उस पानी को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी बच्चे को पिलाने से प्यास समाप्त हो जाती है।
जब खसरे के दाने पूरी तरह बाहर आ जायें तो लौंग को घिसकर शहद के साथ रोजाना 2-3 बार देने पर खसरा ठीक हो जाता है।    
61. डब्बा रोग: 7 लौंग को पानी में घिसकर बच्चे को देने से सर्दी के मौसम में होने वाला डब्बा रोग (पसली चलना) मिट जाता है।


62. बालाचार, बालाग्रह: 20 लौंग को एक कपडे़ में बांधकर बच्चे के गले में ताबीज की तरह बांधने से दौरा आना कुछ ही समय में बंद हो जायेगा।


63. प्रलाप बड़बड़ाना: 1-1 ग्राम लौंग, तगर, ब्राह्मी और अजवायन को लगभग 16 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी शेष बचे तो इसे छानकर रोजाना दो या तीन बार पिलाने से प्रलाप दूर हो जाता है।


64. साइटिका (गृध्रसी): लौंग के तेल से पैरों पर मालिश करने से साइटिका का दर्द खत्म हो जाता है।


65. कुष्ठ (कोढ़): 1.20 ग्राम अंकोल की जड़ की छाल, जायफल, जावित्री और लौंग को पीसकर पानी के साथ खाने से कोढ़ का फैलना रुक जाता है।


66. लिंग दोष: लिंग की इन्द्रियों के दोष दूर करने के लिए 20 ग्राम लौंग को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर जलाएं। ठंडा होने पर इससे लिंग की मालिश करें। इससे लिंग की इन्द्रियों के दोष दूर हो जाते हैं।


67. नाभि रोग (नाभि का पकना): लौंग का तेल व तिल का तेल दोनों को एक साथ मिलाकर नाभि पर लगाने से बच्चे को नाभि के कारण हो रहे दर्द में आराम मिलता है।


68. लिंग वृद्धि: लौंग के तेल को शहर के ओलिव ऑयल में मिला लें। इससे सुपारी को (लिंग का अगला हिस्सा) को छोड़कर लिंग की मालिश करने से लिंग के आकार में वृद्धि हो जाती है।


69. नाड़ी का दर्द: लौंग के तेल से मालिश करने से नाड़ी, कमर, जांघ और घुटने आदि सभी दर्दों में लाभ होता है।


70. गले की सूजन: एक चम्मच गेहूं के आटे का चोकर (छानबूर), एक चम्मच सेंधानमक और दो नग लौंग को पानी में चाय की तरह उबालकर तथा छानकर पिएं। इससे गले की सूजन ठीक हो जाती है।


71. टांसिल का बढ़ना: एक पान का पत्ता, 2 लौंग, आधा चम्मच मुलेठी, 4 दाने पिपरमेन्ट को एक गिलास पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।


72. गलकोष की सूजन व दर्द: लगभग 120 मिलीलीटर से 300 मिलीलीटर लौंग की फांट या चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से गले की सूजन और दर्द में आराम आता है।


73. कंठपेशियों का पक्षाघात: ज्योतिष्मती के बीज और 2-4 फूल लौंग डालकर काढ़ा तैयार करके 20 से 40 ग्राम रोगी को पिलाने से बहुत आराम मिलता है।