गांधी परिवार की पांच रैलियों के पीछे का क्या है गणित?

 नई दिल्ली।  विधानसभा चुनाव के प्रचार में अब तक सुस्त रफ्तार से चल रही कांग्रेस ने आखिरी दौर में प्रचार को धार देने और अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाने के लिए रणनीति के तहत अपने शीर्ष नेतृत्व की सभाओं की योजना बनाई है. कांग्रेस प्रचार की पूरी ताकत उन सीटों पर झोंकना चाहती है जहां से उसके पुराने जनाधार को संदेश पहुंच सके. दिल्ली में गांधी परिवार की दो दिनों में पांच सभाएं रखी गई हैं. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एक रैली करेंगी और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की चार संयुक्त रैलियां होंगी.


कांग्रेस के रणनीतिकारों की मानें तो रैलियों का प्लान अल्पसंख्यक, दलित और पूर्वांचली वोटरों को साधने के मद्देनजर किया गया है. पांच फरवरी को सोनिया गांधी की रैली पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पॉर्क में रखी गई है जिस इलाके मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति में है. शास्त्री पॉर्क से सीलमपुर और गांधीनगर विधानसभा सीधे जुड़ा हुआ है वहीं इससे सटी हुई बाबरपुर, मुस्तफाबाद, करावल नगर जैसी सीटें हैं जहां मुस्लिम वोट हार-जीत तय करेंगे.


राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभाएं भी इसी गणित के हिसाब से रखी गई हैं. पांच फरवरी को ही दोनों नेता मुस्लिम बहुल पुरानी दिल्ली के हौस काजी में सभा करेंगे जिसके आसपास माटिया महल, बल्लीमारान, चांदनी चौक और सदर बाजार जैसी सीटें हैं. इन सीटों पर 50 फीसदी से लेकर 20 फीसदी तक मुस्लिम वोटर हैं. सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों को लेकर मुस्लिम बहुल इलाकों की राजनीति गर्म है. कांग्रेस ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपने स्टैंड को बेहद मजबूती से रखा है. पार्टी को उम्मीद है कि दिल्ली चुनाव में उसे मुस्लिम वोटरों की सहानुभूति मिलेगी.


दलित वोटबैंक को साधने के लिए पूर्वी दिल्ली के कोंडली में राहुल और प्रियंका सभा करेंगे. ये सीट सुरक्षित तो है ही इससे सटी त्रिलोकपुरी और सीमापुरी सीट भी दलित वर्ग के लिए आरक्षित है. कोंडली में राहुल-प्रियंका की सभा पांच फरवरी को है. दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से एक दर्जन सीटें आरक्षित हैं.


राहुल और प्रियंका चार फरवरी को दक्षिण दिल्ली के संगम विहार में सभा को संबोधित करेंगे है जो कि एक पूर्वांचली बहुल सीट है. इस सीट से दिल्ली कांग्रेस की प्रचार समिति के प्रमुख कीर्ति झा आजाद की पत्नी पूनम झा आजाद मैदान में हैं. कीर्ति आजाद को कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में अपने पूर्वांचली चेहरे के तौर पर जगह दी है. जाहिर है उनकी पत्नी के लिए गांधी परिवार के प्रचार करने से पूरी दिल्ली के पूर्वांचली वोटरों को संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है. यहां ये भी महत्वपूर्ण है कि संगम विहार के साथ देवली और अंबडेकर नगर जैसी सीटें सटी हुई हैं जो आरक्षित श्रेणी में हैं.


इसके अलावा चार फरवरी को दोनों नेता दिल्ली की जंगपुरा सीट पर कांग्रेस के सिख चेहरे तरविंदर मारवाह के लिए वोट मांगेंगे. यहां से कस्तुरबा नगर सीट की सीमा मिलती है जहां से पार्टी के एक अहम युवा नेता अभिषेक दत्त चुनाव लड़ रहे हैं.


बहरहाल कांग्रेस अपने शीर्ष नेतृत्व को अल्पसंख्यक और दलित बहुल सीटों पर इस्तेमाल कर रही है वहीं बाहरी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली समेत बाकी इलाकों को दूसरे स्टार प्रचारकों के भरोसे छोड़ा गया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं. दिल्ली में 6 फरवरी को प्रचार थम जाएगा और 8 को वोट डाले जाएंगे.