आरएसएस प्रमुख ने कहा, "गांधी जी बैरिस्टर बनकर आए, पैसा कमा सकते थे. गांधी जी को अपने हिंदू होने की कभी लज्जा नहीं थी." उन्होंने कहा, "गांधी जी सनातनी हिंदू हैं लेकिन दूसरे धर्म का भी सम्मान किया. महात्मा गांधी ने कभी भी लोकप्रियता और सफलता और असफलता की परवाह नहीं की. अन्तिम व्यक्ति का हित विकास की कसौटी है. ये उनका प्रयोग था, और जब कभी गड़बड़ी हुई प्रयोग में तो उन्होंने माना कि तरीका गलत है."
संघ प्रमुख भागवत ने कहा, "गांधी जी की प्रमाणिकता के पाठ को हमें आज से शुरू करना चाहिये. ईमानदारी ही सबसे अच्छी नीति है. ईमानदारी ही सबकुछ है." उन्होंने आगे कहा, "हेडगेवार जी ने कहा था कि गांधी जी के जीवन का अनुसरण करना चाहिये. एक समय था जब हमारी चीजों को गलत मानकर चला जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल रही है. शिक्षा में ये नहीं बताया जाना चाहिये कि ये हमारे पक्ष का है और ये विपक्ष का. शिक्षा में सत्यपरकता होनी चाहिये."