नई दिल्ली। पेरिस में 16 फरवरी से लेकर 21 फरवरी तक होने जा रही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डलवाने के लिए भारत कोई कसर बाकी नहीं रखेगा। इसके लिए विभिन्न जांच एजेंसियों के टॉप अफसर सबूत लेकर पेरिस रवाना हो रहे हैं।
इनमें कैबिनेट सचिवालय, फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट, एनआईए, ईडी, आयकर विभाग और डीआरआई जैसी एजेंसियों के अफसर शामिल हैं। उधर, बुधवार को मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद को टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है। भारतीय जांच एजेंसियों का कहना है कि यह पेरिस बैठक से पहले खुद को ब्लैक लिस्ट होने से बचाने के लिए पाकिस्तान का एक पैंतरा है।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को 2008 के मुंबई हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने प्रतिबंधित कर दिया था। उन हमलों में 166 लोग मारे गए थे।हाफिज सईद पर पाकिस्तान में 23 आतंकी मामले दर्ज हैं।
भारत ने उसके खिलाफ आतंकी मामलों का डोजियर भी दिया है। इसमें पाकिस्तान को ऐसे सबूत भी दिए गए, जिसमें आतंक के सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तान में खुलेआम घूमने और भारत विरोधी रैलियों को प्रभावशाली तरीके से संबोधित करने की अनुमति दी गई थी।
2017 में हाफिज सईद और उसके चार सहयोगियों को पाकिस्तान सरकार ने आतंकी कानूनों के तहत हिरासत में लिया था, लेकिन लगभग 11 महीने बाद उसे रिहा कर दिया गया। न्यायिक समीक्षा बोर्ड ने उसके कारावास को और अधिक बढ़ाने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद भी हाफिज सईद की आतंकी गतिविधियां जारी रही। भारतीय जांच एजेंसियां, एनआईए और ईडी ने उसके खिलाफ पर्याप्त एवं ठोस सबूत एकत्रित किए थे। इसके बाद पाकिस्तान को चेतावनी दी गई कि उसकी जमीन से हाफिज सईद भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। भारत इस मामले को प्रभावशाली तरीके से एफएटीएफ में ले गया।
अक्टूबर 2019 में एफएटीएफ ने फरवरी 2020 तक पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखने का फैसला किया था। इससे पाकिस्तान को एफएटीएफ की 27-बिंदु कार्य योजना को लागू करने का समय मिल गया। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटरिंग ऑफ टेररिस्ट फाइनेंसिंग नियमों की कमियों के कारण उसे अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।
हालांकि ग्रे सूची में नाम आने के बाद कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, लेकिन यदि कोई देश लगातार इस सूची में बना रहता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का खतरा पैदा हो जाता है।पाकिस्तान आज उसी हालत में है। एफएटीएफ ने गत अक्तूबर में पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि वह फरवरी 2020 तक सुधार करे।
कुछ सख्त कदम उठाकर आगे का प्लान भी बताए।पिछली बार की एफएटीएफ बैठक में पाकिस्तान, टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के 27 मानकों में से 22 पर खरा नहीं उतर पाया था।यही वजह रही कि पाकिस्तान को चेतावनी देकर फरवरी 2020 तक एक्शन प्लान को पूरा करने की बात कही गई थी।
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट सचिवालय, फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट, एनआईए, ईडी, आयकर विभाग और डीआरआई जैसी एजेंसियों के अफसरों की जो टीम पेरिस भेजी जा रही है, वह पाकिस्तान की कई करतूतों का पर्दाफाश करेगी।
इस टीम के पास उन 27 मानकों की पूरी रिपोर्ट है, जिन्हें पूरा करने के लिए पाकिस्तान को कहा गया था। एफएटीएफ की बैठक में कई तरह के अदालती आदेशों की प्रतियां भी पेश की जाएंगी। पाकिस्तान, किस तरह से अभी तक आतंकियों को प्रोत्साहन दे रहा है, इस बाबत सबूतों की लंबी फेहरिस्त एफएटीएफ बैठक में रखी जाएगी।