‘फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशंस इन नॉर्थ अमेरिका’ (एफआईएसीओएनए) ने कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत सरकार राष्ट्रपति द्वारा जताई गई चिंता का सकारात्मक जवाब देगी जो देश के हित में होगा।
मुसलमानों से भेदभाव करने और भारत में नस्ली घृणा अपराध के बढ़ते मामलों के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर ट्रम्प ने मंगलवार को नयी दिल्ली में कहा, ‘‘हमने इस पर चर्चा की और खासतौर से मुसलमानों पर। हमने ईसाइयों पर भी चर्चा की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रधानमंत्री से बहुत मजबूत जवाब मिला। हमने कई लोगों के सामने काफी वक्त तक धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में बात की। मुझे लगता है कि मुझे बहुत ठोस जवाब मिला।’’
ट्रम्प की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया करते हुए एफआईएसीओएनए के अध्यक्ष कोशी जॉर्ज ने कहा, ‘‘हालांकि हमें उनकी बातचीत की कोई जानकारी नहीं है, हम यह देखकर प्रेरित हैं कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बातचीत में प्राथमिकता के तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को शामिल किया।’’
संगठन के चेयरमैन जॉन प्रभुदास ने कहा कि भारत की सकारात्मक छवि दिखाने की कोशिशों के बावजूद दुनिया ‘‘मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा बनाई नीतियों के परिणाम स्वरूप’’ चल रही हिंसा भी देख रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक शांति आर्थिक प्रगति की बुनियाद है और मोदी सरकार देश को बहुसंख्यकवाद तथा असहिष्णुता की ओर लेकर जा रही ऐसी नीतियों का प्रचार करके अपने आम नागरिकों की समृद्धि को जोखिम में डाल सकती है।’’
प्रभुदास ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री से भारत के संविधान को बरकरार रखने की अपील करते हैं जो प्रत्येक भारतीय की धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।’’
ट्रम्प की भारत यात्रा के मद्देनजर एफआईओसीएएनए ने एक पत्र में उनसे भारतीय नेतृत्व के साथ बातचीत में धार्मिक आजादी का मुद्दा उठाने की गुजारिश की थी।