नई दिल्ली। विदेशी मीडिया में दिल्ली चुनाव की खबरें बड़ी तवज्जो के साथ प्रकाशित की गई हैं। इनमें सभी ने माना है कि दिल्ली के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को संकेत दिया है कि उन्हें अपनी पार्टी पर असर बढ़ाने और कार्यकर्ताओं को काबू में करने की कोशिश करनी चाहिए। पाकिस्तानी अखबारों ने इन नतीजों पर जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है। पाक मीडिया में भाजपा की हार को सीएए के विरोध से जोड़कर देखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी को एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी ने करारी शिकस्त दी है। इसे मोदी की नीतियों के जनमत संग्रह के रूप में भी देखा जा सकता है। इन नीतियों में देश के भीतर मुस्लिम विरोधी नया राष्ट्रीय नागरिकता कानून (सीएए) भी शामिल है। दरअसल, मोदी की कई नीतियों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल विरोध जता चुके हैं और चुनाव में क्षेत्रीय पार्टी के नेता इसे अपने पक्ष में भुना ले गए।
नफरत की राजनीति को नकारा: दाइचे वेले
दिल्ली के चुनाव भारत के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। एक तरफ तो इसने दिखाया है कि लोग नफरत की राजनीति को स्वीकार नहीं करते हैं और दूसरी तरफ सियासी दलों के विकास के नारों को गंभीरता से लेते हैं। अरविंद केजरीवाल की भारी जीत इस बात का संकेत है कि मतदाता नारों से ज्यादा हकीकत पर ध्यान दे रहे हैं।
राष्ट्रीय मुद्दों पर दिल्ली चुनाव भाजपा नीति विफल: द गार्जियन
दिल्ली की आप सरकार की शिक्षा, सेहत और बिजली-पानी की नीति को लोगों ने जबरदस्त समर्थन दिया है। भाजपा नेताओं की राष्ट्रीय मुद्दों पर दिल्ली चुनाव लड़ने की रणनीति विफल हो गई है। दिल्ली की जनता ने यह दिखाया है कि राज्य के चुनावों में उसे स्थानीय मुद्दों की परवाह है न कि राष्ट्रीय मुद्दों की। यही कारण रहा कि लोकसभा चुनाव में मोदी ने दिल्ली से सातों सीटें जीतीं लेकिन विधानसभा में हार गए।
आप ने मोदी सरकार को चटाई धूल: खलीज टाइम्स
सत्तारूढ़ भाजपा ने दिल्ली चुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया लेकिन उसकी झोली में सिर्फ आठ सीटें ही आईं। दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने डेरा डाला। दोनों नेताओं ने हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए अल्पसंख्यकों के विरुद्ध जमकर जहर उगला लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मतदाताओं ने मोदी सरकार की नीतियों को नकार दिया और धूल चटा दी।
भाजपा की ऐसी हार का नहीं था पूर्वानुमान : इंडिपेंडेंट
वैसे तो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की जीत का पहले से लोगों को अनुमान था लेकिन भाजपा की ऐसी हार का पूर्वानुमान किसी ने नहीं लगाया था। आम आदमी पार्टी ने तो भाजपा का पूरी तरह सफाया ही कर डाला। चुनाव के ये नतीजे सभी राजनीतिक दलों के लिए एक सबक हैं क्योंकि जनता उनसे मुद्दों की राजनीति की अपेक्षा करती है। उन्हें नफरत की राजनीति छोड़नी पड़ेगी।