*छींके अधिक आना*
*परिचय:छींक आना कोई बीमारी नहीं होती मगर हद से ज्यादा आने लगे तो यह परेशान कर देती है। जिस तरह फेफड़ों को हल्का करने के लिए हम खांसते हैं उसी तरह सिर को हल्का कराने के लिए छींक जरूरी होती है। छींक यदि दो-चार बार हो जायें तो कोई बात नहीं लेकिन जब अधिक आने लगती है तो इसे छींको का अधिक आना कहते हैं।*
*विभिन्न औषधियों से उपचार :*
*1. कलौंजी :कलौंजी और सूखे चूने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर उसकी पोटली बनाकर सूंघने से छींके बंद हो जाती है।*
*कलौंजी (मंगरैल) का प्रयोग रसोई में मसालें के रूप में की जाती है। कलौंजी के बीजों को पीसकर सूंघने से छींक का बार-बार आना बंद हो जाता है।*
*2. सरसों का तेल: मौसम में बदलाव होने पर भी छींक आने लगती है। इस तरह के मौसम में बदलाव के कारण आने वाले छींक में सरसों का तेल नाक में 2 से 3 बूंद डालकर रोजाना नीचे से ऊपर खीचना चाहिए। इससे छींकों का अधिक आना बंद हो जाता है।*
*3. कपूर: यदि छींक के कारण से जुखाम हो जाये तो एक चावल के दाने के बराबर कपूर को बताशे में डालकर या चीनी के साथ मिलाकर खिलायें और ऊपर से पानी पिलाने से अधिक छीके आना बंद होती है। नोट: कपूर की मात्रा ज्यादा न हो।*
*4. पोस्त खसखस: पोस्त खसखस 12 ग्राम को लगभग 125 मिलीलीटर पानी में मिलाकर नाक से इसकी भाप लें। इससे छींक का अधिक आना बंद हो जाता है।*
*5. अजवायन: 10 ग्राम अजवायन और 40 ग्राम पुराने गुड़ को लगभग 450 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। उबलने पर जब 250 मिलीलीटर के करीब पानी बाकी रह जाये तो उस पानी को थोड़ी देर तक रखकर थोड़ा ठंडा होने पर पीकर ऊपर से चादर ओढ़ कर सो जाये। इससे छींक आना बंद हो जाती है।बनते हुए इसकी भाप भी ले व अजवायन कपूर किलौंजी हल्का सेक कर पोटली बनाकर सूँघे*
*6. अदरक: नजले या जुकाम के साथ-साथ अगर लगातार छींके भी आ रही हो तो 3 ग्राम अदरक को 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रात को सोने से पहले खाने से छींके बंद हो जाती है। इसके ऊपर से पानी नहीं पीना चाहिए।*
*7. नाक के बाल: अगर नाक के बाल बढ़कर अन्दर की ओर चले जाते है तो भी छींके आती रहती है इसलिये नाक के बालों को काट देना चाहिए।*
*अन्य उपचार: छींकों से बचने के लिए गर्मी लगने पर या कहीं बाहर से चलकर आने पर, मेहनत करने के बाद हमें एकदम से कपड़ों को नहीं उतारना चाहिए न ही पानी पीना चाहिए खासकर ठंडा व जल्दी जल्दी।*
*नियमित प्रतिमाह या मौसम बदलने से पहले ही देशी गाय का घी हल्का गुनगुना कर दो दो बून्द सोने से पहले नाक में जरूर डाले 7 से 10 दिन*
*होमियोपैथि से उपचार*
*एलियम सीपा : जुकाम के ऐसे लक्षण जिसमें रोगी को अधिक छींक आती हैं विशेषकर गर्म कमरे या ठंडे कमरे में जाने से। इस तरह के छींक को दूर करने के लिए एलियम सीपा औषधि का सेवन करना चाहिए। यदि जुकाम के साथ अधिक मात्रा में पसीना आता हो और पसीना चिरमिराहट उत्पन्न करने वाला व जलन उत्पन्न करने वाला हो, आंखों से पानी निकलता हो परन्तु आंखों में जलन न हो बल्कि नाक में जलन हो तो ऐसे लक्षणों में भी एलियम सीपा औषधि का सेवन करना चाहिए। यदि आंख एवं नाक से पानी की तरह पतला स्राव होता है। ऐसे लक्षणों में एलियम सीपा औषधि के स्थान पर युफ्रेशिया औषधि का सेवन करना लाभदायक होता है।*
*नक्स-वोमिका : नक्स-वोमिका औषधि का प्रयोग सर्दी-जुकाम में किया जाता है। ठंडी हवा लगने से जुकाम हुआ हो, नाक बंद हो गया हो, दिन के समय नाक से श्लेष्मा का स्राव होता है एवं रात को सूख जाता हो। इस तरह के जुकाम होने पर अधिक छींके आती हो तो उसे दूर करने के लिए नक्स-वोमिका औषधि की 30 शक्ति प्रयोग करना चाहिए।*
*जेल्सीमियम : यदि छींके अधिक आती हों और साथ ही जुकाम हो, रोगी को गहरी नींद की अवस्था हो, शरीर की मांसपेशियां ठंडी पड़ गई हो और शरीर में ठंडक कभी कम और कभी अधिक महसूस हो तो ऐसे लक्षणों में जेल्सीमियम औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना लाभकारी होता है।*
*साइलीशिया : छींक आने का रोग अधिक पुराना हो चुका हो तो उपचार के लिए साइलिशिया औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होगा।*
*नैट्रम-म्यूर : सर्दी-जुकाम के ऐसे लक्षण जिसमें रोगी बराबर छींकता रहता है, नाक से पानी की तरह पतला स्राव होता है, नाक कभी बहता है और कभी नहीं बहता एवं रोगी को ठंड अनुभव होता रहता है। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगी को नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना चाहिए।*
*कार्बो वेज : जुकाम के साथ छींक आने के ऐसे लक्षण जिसमें रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसेकि छींकें आने वाली है परन्तु छींक नहीं आती। ऐसे में रोगी कोकार्बो-वेज औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना चाहिए।*
*आर्सेनिक:-नाक से जख्म कर देने वाला स्राव , आँख व नाक में जलन , बेचैनी , थोड़ी – थोड़ी देर में थोडा – थोडा पानी पीने की इच्छा , कमजोरी , बुखार व सिरदर्द l सभी लक्षण गर्मी व गर्म चीजों के उपयोग से घटते हों – ( आर्सेनिक एल्ब 30 , 2 -2 घंटे के अंतर पर )*
*एकोनाइट:-जब सुखी ठंडी हवा लग कर रोग आया हो, ठंडक महसूस होना, सिर दर्द, आँखों से पानी, छीकें आना, सूखी खांसी, बार – बार बेचैनी तथा भय , खुली हवा में अच्छा लगता है – एकोनाइट 30, 3 – 4 खुराक दिन भर में दें