*बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है।*
*बवासीर दो प्रकार की होती है,खूनी बवासीर और बादी वाली बवासीर,खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते है,और उनसे खून गिरता है,जबकि बादी वाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते है,और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है।*
*बवासीर बेहद तकलीफदेह होती है। देर तक कुर्सी पर बैठना और बिना किसी शेड्यूल के कुछ भी खा लेना इसका प्रमुख कारण है।*
👉रसोत 350 ग्राम
👉गंदना के बीज 150ग्राम
👉छोटी हरड़ 250 ग्राम
👉एवला 250 ग्राम
👉काली मिर्च 250ग्राम
👉शुद्ध गेरू। 250ग्राम
👉रीठे की छिलको की भस्म 150ग्राम
👉फिटकरी बिरियाँ 150ग्राम
👉कलमिशोरा 150ग्राम
👉गंदना का रस 1किलो
👉देसी गाय का मूत्र 5. किलो
👉मूली का रस 5. किलो
👉कुकरौंदा का रस 1 किलो
*👉गंदना,मूली व कुरोन्दा के रस में सभी औषधियों का चूर्ण जिसको कपड़छान करके बारीक चूर्ण को सभी रसो में भिगो कर रखेँ ।।*
*👉ओषधि मिल जाने पर गोमूत्र मिलाकर पकाएँ पक जाने पर हलवे की तरह हो जाए तब चने के बराबर गोलियाँ बना ले*
*👉दो गोली सुबह खाली पेट छाछ के साथ मेँ दो गोली शाम को सोते समय सेवन करेँ 40-50 साल पुरानी बवासीर भी ठीक हो जाती हे*
*👉और साथ में सुबह शाम अभ्यरिष्ट सिरप ले 20ml bid*
*अगर गौमुत्र ले तो सोने पर सुहागा हो जायेगा।नीचे से अगर स्वयं मूत्र या गौमूत्र से धोये।तीसरे दिन परिणाम आपके सामने होगा।खून तो पहली खुराक में ही आना बंद हो जाता है।*
*👉परहेज-चाय,खट्टी,तली,जेसे निम्बू,अचार, पराठे,शराब,चिकन,बैंगन,लाल मिर्च व चाय इत्याद का परहेज करना होगा।*
*👉बवासीर की समस्या होने पर तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें।फाइबर वाली चीजो का इस्तेमाल करे।*
*👉उदेश्य;-मात्र जन कल्याण,गऊ माँ का प्रचार,स्वदेशी(प्राकृतिक चिकित्सा)वस्तुओ व रोजगार को बढ़ावा देना
सौजन्य वेद आयुर्वेदिक इंटरनेशनल पंचकर्म सेंटर एवं पंचगव्य रिसर्च सेंटर तथा मेडिसिन रिसर्च सेंटर सावरकुंडला अमरेली जिला गुजरात