नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट में अस्पतालों पर खर्च में बढ़ोत्तरी पेश की है। हालांकि देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एम्स को सालाना बजट में 109 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष में एम्स के बजट में करीब 300 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी करते हुए 3298 से बढ़ाकर 3599 करोड़ रुपये किया गया था लेकिन इस बार एम्स के लिए 2135.95 करोड़ रुपये का बजट ही रखा गया है।
एम्स प्रबंधन के मुताबिक राष्ट्रीय निवेश कोष के लिए एम्स ने छह गुना ज्यादा खर्च करने की योजना बनाई है। पिछले वित्तयी वर्ष में ये खर्च 290 करोड़ रुपये थे जिसे अब 1256.91 करोड़ रुपये रखा गया है। वैश्विक स्तर के बुनियादी ढ़ांचे को लेकर एम्स ने हेफा (उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी) के तहत लोन लिया था। इसी लोन में एम्स करीब 97 करोड़ रुपये की ब्याज पर खर्च करेगा।
एम्स के अलावा सफदरजंग का बजट इस बार 1211.50 से बढ़ाकर 1318.86, आरएमएल का 750 से 885.60, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज का 475 से 502.44 और कलावती अस्पताल का 124.90 से बढ़ाकर 136.75 करोड़ रुपये तय किया है। सरकार ने देश भर के चिकित्सीय शिक्षा संस्थानों पर खर्च की योजना में भी बजट किया है। पिछली बार सरकार ने 8304 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी जिस पर 8412 करोड़ रुपये खर्च किया गया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार 7820.33 करोड़ रुपये खर्च करना प्रस्तावित है।
इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना में सरकार ने बड़ा बदलाव नहीं किया है। इसके तहत सरकार 27039 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें विभिन्न टीकाकरण अभियान, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर बुनियादी ढ़ांचे पर होने वाले खर्च शामिल हैं। विभिन्न राज्यों में अस्पतालों की सेहत ठीक करने के लिए सरकार ने एक हजार करोड़ से ज्यादा की बढ़ोत्तरी करते हुए 6343.41 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।
वहीं, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना में सरकार ने अबकी बार 3 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने का निर्णय लिया है। समूची स्वास्थ्य शिक्षा की बात करें तो सरकार ने 4686 करोड़ रुपये खर्च करना तय किया है।
एम्स के अलावा सफदरजंग का बजट इस बार 1211.50 से बढ़ाकर 1318.86, आरएमएल का 750 से 885.60, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज का 475 से 502.44 और कलावती अस्पताल का 124.90 से बढ़ाकर 136.75 करोड़ रुपये तय किया है। सरकार ने देश भर के चिकित्सीय शिक्षा संस्थानों पर खर्च की योजना में भी बजट किया है। पिछली बार सरकार ने 8304 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी जिस पर 8412 करोड़ रुपये खर्च किया गया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार 7820.33 करोड़ रुपये खर्च करना प्रस्तावित है।
इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना में सरकार ने बड़ा बदलाव नहीं किया है। इसके तहत सरकार 27039 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें विभिन्न टीकाकरण अभियान, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर बुनियादी ढ़ांचे पर होने वाले खर्च शामिल हैं। विभिन्न राज्यों में अस्पतालों की सेहत ठीक करने के लिए सरकार ने एक हजार करोड़ से ज्यादा की बढ़ोत्तरी करते हुए 6343.41 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।
वहीं, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना में सरकार ने अबकी बार 3 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने का निर्णय लिया है। समूची स्वास्थ्य शिक्षा की बात करें तो सरकार ने 4686 करोड़ रुपये खर्च करना तय किया है।