*आपकी त्वचा और जीभ आपके स्वास्थ्य के बारे में क्या कहती है ?*
*त्वचा से जानें स्वास्थ्य का हाल :त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है। इसके बहुत से कार्य हैं,जिसमें शरीर को सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है। कोमल, चिकनी, सुंदर, ओजयुक्त, दमकती त्वचा स्वस्थ होने की निशानी है। इसके विपरीत फोड़े-फुसी, पिम्पल्स, दाद-खाज़ एवं धब्बों से युक्त त्वचा रोगी होने की निशानी है।*
*हमारे शरीर के अंगों की लगभग सभी क्रियाविधि का असर हमारी त्वचा के रंग-रूप पर अवश्य पड़ता है। जब शरीर के अंग एवं ग्रंथियाँ अपना कार्य ठीक से नहीं करेंगी तो उसका सीधा एवं तुरंत या देर-सबेर प्रभाव त्वचा पर पड़ेगा ही। त्वचा हमारे शरीर से अपशिष्टों को भी बाहर निकालती है इसलिए यदि शरीर में अपशिष्टों की वृद्धि होगी तो भी त्वचा इससे प्रभावित होगी तथा उसके रंग-रूप में परिवर्तन अवश्य होगा। खून एवं लसिका की मात्रा तथा उनकी अवस्था का असर भी त्वचा पर दिखाई पड़ता है।*
*त्वचा के द्वारा रोगों का पता 3 चीज़ों से लगाया जाता है : (1) त्वचा की अवस्था (2) त्वचा का रंग तथा (3) त्वचा पर उपस्थित धब्बे या निशान।*
*त्वचा से रोगों की पहचान :*
*1- नम या गीली त्वचा –अधिक मात्रा में तरल लेने से त्वचा गीली प्रतीत होती है। अधिक मात्रा में पानी, फलों का जूस, दूध एवं चीनी लेने से त्वचा नम रहती है।*
*नम त्वचा बताती है कि रोगी का रक्त पतला है, उसे ज़्यादा पसीना आता है, उसे मूत्र भी ज़्यादा आता है। ऐसे व्यक्ति में चक्कर, याददाश्त में कमी, मंदबुद्धि, डायरिया आदि लक्षण या रोग पाए जा सकते हैं।*
*2- तैलीय या ऑयली त्वचा –सामान्यतः त्वचा हल्की-सी ऑयली होती है। अत्यधिक वसा या फैटी खाद्य पदार्थ खाने वालों की त्वचा अधिक तैलीय होती है। घी, तेल एवं एनिमल प्रोटीन अधिक मात्रा में लेने वालों की त्वचा तैलीय होती है। गालब्लैडर या किडनी में पथरी, ब्रेस्ट या ओवरी अथवा गर्भाशय में गाँठ या सिस्ट, मधुमेह आदि होने पर भी त्वचा अधिक तैलीय हो जाती है।*
*3- रूखी या ड्राय त्वचा –रूखी त्वचा शरीर में पानी की कमी को इंगित करती है। लेकिन यह रूखापन त्वचा के नीचे अत्यधिक फैट जमने पर भी होता है। क्योंकि फैट की सतह या लेयर पानी को त्वचा तक नहीं पहुँचने देगी जिससे कि त्वचा रूखी दिखाई देगी। रूखी त्वचा से मुक्ति पाने वालों को अपनी डाइट में पानी की मात्रा बढ़ाना चाहिए साथ ही फैट की मात्रा को घटाना चाहिए।*
*4- खुरदरी या रफ़ त्वचा –इस प्रकार की त्वचा बताती है कि व्यक्ति अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं जटिल फैट का सेवन कर रहा है। अधिक मात्रा में शुगर, सॉफ्ट ड्रिंक्स, दवाइयाँ एवं रसायन का सेवन करने वालों की भी त्वचा खुरदरी हो जाती है। धमनियों में फैट जमने से या धमनियाँ सख्त होने के कारण भी त्वचा खुरदरी हो जाती है।*
*6- पीली त्वचा –लिवर एवं गालब्लैडर के रोगों में त्वचा का रंग पीला हो जाता है।सफ़ेद रंग लिवर, गालब्लैडर, स्प्लीन एवं लसिका ग्रंथियों के सुचारू रूप से कार्य नहीं करने के कारण त्वचा का रंग सफेद हो सकता है। अत्यधिक दूध एवं अन्य डेयरी उत्पाद खाने वालों में भी त्वचा का रंग सफेद हो सकता है।*
*7- लाल रंग –हृदय एवं रक्त वाहिनी के रोग, फेफड़ों की समस्या, अधिक मात्रा में मसालों का सेवन करने के कारण त्वचा का रंग लाल हो सकता है।*
*8- नीली त्वचा –लिवर की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी, स्प्लीन तथा पैंक्रियाज़ में समस्या होने पर त्वचा का रंग नीला होने लगता है। यदि त्वचा के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित होता है, तो भी त्वचा नीली होने लगती है।*
*9- एक्ज़िमा –त्वचा पर रूखे, कठोर, उभरे हुए सफ़ेद, पीले या लालिमायुक्त पैच को एक्ज़िमा कहते हैं। एक्ज़िमा का कारण उत्सर्जनतंत्र एवं सर्कुलेटरी सिस्टम में गड़बड़ी है। हृदय, लिवर एवं किडनी में चर्बी या फैट जमा होना एक्ज़िमा का प्रमुख कारण है।*
*खाने में अत्यधिक डेयरी प्रॉडक्टस, नॉनवेज़, शुगर एवं अंडा लेने वालों में एक्ज़िमा की समस्या अधिक होती है। अंडे को तेल या बटर में तलकर खाने वालों को एक्ज़िमा होने की संभावना अत्यधिक होती है। यदि आप एक्ज़िमा से पीड़ित हैं, तो अपने भोजन से फैटी वस्तुएँ बिलकुल अलग कर दीजिए।*
*10- पिम्पल्स –अत्यधिक फैट, शुगर एवं जंक-फूड्स लेने वालों को पिम्पल्स अधिक होते हैं। पिम्पल्स लाल तथा सफेद रंग के होते हैं। पिम्पल्स शरीर के ऊपरी हिस्से में होते हैं। अधिकतर पिम्पल्स गालों पर, माथे पर, नाक एवं ठोड़ी पर होते हैं। कंधों, कमर एवं पीठ पर भी पिम्पल्स होते हैं। पिम्पल्स जिस स्थान पर होते हैं वे किसी अंग की क्रियाविधि की खराबी को इंगित करते हैं। जैसे :*
*माथे पर पिम्पल्स – आँतें*
*गालों पर पिम्पल्स – फेफडे*
*मुँह के आस-पास – प्रजनन तंत्र*
*नाक पर – हृदय*
*जबड़ों पर – किडनी*
*पीठ पर – फेफड़े*
*छाती पर – फेफड़े एवं हृदय*
*कंधों पर – पाचनतंत्र*
*पिम्पल्स के उपरोक्त स्थान बताते हैं कि संबंधित अंगों की क्रियाविधि में गड़बड़, उन पर सूजन एवं फैट जमा होने के कारण हुई है। यदि हम संबंधित अंगों का उपचार करेंगे, तो उन विशिष्ट स्थानों के पिम्पल्स भी ग़ायब हो जाएँगे।*
*11- त्वचा पर लाल निशान –त्वचा पर लाल निशान तेज़ बुख़ार के बाद उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे : टाइफ़ॉइड, न्यूमोनिया, यू.टी.आई., मलेरिया आदि।*
*12- त्वचा पर काले निशान –ये काले निशान अपनी स्थिति (अर्थात जहाँ पर यह निकलते हैं) से अंग विशेष की क्रियाविधि में आई बाधा को भी दर्शित करते हैं। जैसे : चेहरे पर दाईं आँख के नीचे के काले निशान लिवर रोग, तो बाईं आँख के नीचे के काले निशान किडनी एवं यौनांगों की अति क्रियाशीलता की तरफ़ इशारा करते हैं।*
*नाक के नथनों के पास की त्वचा पर काले निशान किडनी एवं ब्लैडर की समस्या की निशानी है। गालों पर काले निशान फेफड़ों की समस्या बताते हैं, तो होंठों के आसपास के हिस्से पर काले निशान पाचनतंत्र (आमाशय तथा आँतों) की समस्या के सूचक हैं। माथे पर काले निशान स्प्लीन एवं गालब्लैडर की समस्या की तरफ़ इशारा करते हैं। छाती पर काले निशान होना यह बताता है कि हृदय में इन्फेक्शन हुआ था।*
*13- त्वचा पर नीले निशान –त्वचा पर नीले रंग के निशान होना यह बताता है कि रक्त नलिकाओं में कहीं कोई अवरोध है। केपेलरीज़ के फटने से भी त्वचा पर नीले निशान उभर आते हैं।अत्यधिक मीठा खाने वाले एवं किडनी तथा परिसंचरण (सर्कुलेटरी) तंत्र की गड़बड़ी से भी इस प्रकार के निशान बन जाते हैं।*
*आपने नोटिस किया होगा कि जब भी डॉक्टर के पास जाते हैं वे सबसे पहला आपका जीभ देखते हैं। आपको इतना तो जरूर समझ आता है कि इसका आपके स्वास्थ्य से संबंध है लेकिन क्या संबंध है यह आप नहीं समझ पाते।*
*जीभ आपके शरीर का वह हिस्सा है जो आपको सिर्फ स्वाद नहीं देता, बल्कि इससे आपके स्वास्थ्य की जानकरी भी मिलती है। जीभ देखकर आप अपने स्वास्थ्य का हाल जान सकते हैं। जी हां, जीभ का एक प्राकृतिक रंग होता है जो अगर बदला हुआ दिखे तो यह आने वाले वक्त में आपके बीमार होने का संकेत देता है।*
*जीभ को मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है – अग्र भाग, मध्य भाग तथा सिरा। अग्र भाग सबसे बाहरी हिस्सा है, मध्य भाग में बीच का हिस्सा आता है और सिरा में इसका रूट हिस्सा आता है जो टॉन्सिल से जुड़ा होता है।*
*जीभ के अग्र और मध्य भाग पर ही मुख्य रूप से टेस्ट बड्स होते हैं।*
*सामान्यत: यह हल्का गुलाबी रंगत लिए होता है लेकिन अगर इसका रंग ‘ब्लैक, ब्लू, ब्राइट रेड, पर्पल, व्हाइट या येलो’ जैसा कुछ दिखा तो यह आपकी किसी आंतरिक बीमारी का लक्षण हो सकता है जो इस प्रकार हैं:*
*हल्का पीला या काला होना – खून की कमी। फेंफड़ों की बीमारी का पूर्व संकेत।*
*बैंगनी – उच्च कोलेस्ट्रोल, ब्रोंकाइटिस, रक्त-संचार में समस्या।*
*ब्राइट रेड – खून की कमी, विटामिन बी की कमी, आंतों की गर्मी का सूचक।*
*पीला – डिहाइड्रेशन, बुखार, बहुत अधिक सिगरेट पीने का संकेत।*
*सफेद परत – पाचन संबंधी परेशानियों का सूचक है। साथ ही बहुत अधिक एंटीबायोटिक खाने के कारण आपके मुंह में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ने की सूचना भी यह देता है।*
*ड्राइनेस – जीभ का बार-बार सूखना सलाइवा ग्लैंड में सूजन होने का संकेत है। इसके अलावा रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ना या कहें मधुमेह भी इसका कारण हो सकता है। इसलिए अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।*
*जीभ में सूजन – यह किसी गंभीर स्वास्थ्य परेशानी की सूचना देता है। यह जीभ के कैंसर होने का भी पूर्व संकेतक हो सकता है। इसके अलावा यह थाइरॉयड, ग्लूकोमिया, एनीमिया आदि का लक्षण भी हो सकता है।*
*जीभ के ऊपरी हिस्से पर लाल रंग के चकत्ते – दमा या एग्जिमा का संकेत हो सकता है। इसके अलावा यह विटामिन सी की कमी की सूचना भी देता है जो मसूढ़ों में परेशानियां पैदा करता है।*
*" जीभ की लार से अपना स्वास्थ्य जाने "*
*जीभ पेट का दर्पण है , चम्मच के उल्टे भाग पर तब तक रगड़े जब तक उसमे लार ना चपक जाये , फिर थोड़ी बाद इसे प्रकाश रौशनी में देखें , यदि लार का रंग सफेद दिखे तो कफ की समस्या , यदि कफ का रंग पीला दिखे तो थायराइड की समस्या , यदि कंफ का रंग नारंगी दिखे तो किडनी की समस्या*
*होंठ के रंग से जाने आपकी सेहत के राज*
*स्वास्थ्य का आईना हैं आपके होंठ :*
*हमारे होंठ हमारे पाचनतंत्र के शुरुआती अंग हैं। अर्थात हमारा पाचनतंत्र होंठों से शुरू होकर गुदा पर ख़त्म होता है। पाचनतंत्र के शुरुआती अंग होने के कारण ये पाचनतंत्र के दर्पण हैं। हमें अपने होंठों से स्वयं के स्वास्थ्य का भी पता चलता है। इनकी दशा बताती है कि हम शारीरिक एवं मानसिक रूप से कितने स्वस्थ हैं। आइए, हम जानते हैं कि होंठ हमें सेहत के बारे में क्या-क्या बताते हैं :*
*✦ एक स्वस्थ व्यक्ति के मुँह की चौड़ाई आकार में नाक की चौड़ाई के बराबर होना चाहिए। यदि मुँह की चौड़ाई नाक से अधिक होगी तो स्वास्थ्य कमज़ोर होगा, शारीरिक और मानसिक भी। वर्तमान पीढ़ियों के मुख की चौड़ाई पूर्व की पीढ़ियों से अधिक है क्योंकि हमारे मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य में लगातार गिरावट हो रही है।*
*✦ सामान्य मोटे तथा चौड़े होंठ बताते हैं कि व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा शुगर का ज़रूरत से अधिक सेवन कर रहा है।*
*✦ गुलाबी होंठ अच्छे स्वास्थ्य एवं बेहतरीन हृदय, श्वसन तंत्र एवं पाचन तंत्र की निशानी हैं।*
*✦ सफ़ेदी लिए हुए गुलाबी होंठ बताते हैं कि आप अत्यधिक डेयरी प्रोडक्ट्स, वसा, शुगर एवं मीठे फलों का सेवन करते हैं। ये यह भी बताते हैं कि आपका लिम्फेटिक सिस्टम कमज़ोर है तथा आपके हार्मोन असंतुलित हैं। स्किन एलर्जी, हॉजकिन्स डिसीज़ तथा हृदय रोगों में भी होंठों का रंग ऐसा हो सकता है।*
*✦ सफ़ेद होंठ बताते हैं कि आप में खून की कमी है या ब्लड का सर्कुलेशन बाधित हो रहा है या हृदय अत्यधिक कमज़ोर है।*
*✦ एनीमिया एवं ल्यूकेमिया (श्वेत रक्त कणिकाओं की अत्यधिक वृद्धि) से भी होंठों का रंग सफ़ेद हो जाता है।*
*✦ गहरे पर्पल रंग के होंठ बताते हैं कि आपका ब्लड सर्कुलेशन बाधित है तथा रक्त कोशिकाएँ अत्यधिक-विकृत हो चुकी हैं। ऐसे होंठ लिवर,आँत, स्प्लीन, किडनी तथा फेफड़ों के रोग की तरफ़ भी इशारा करते हैं। कई किताबों में इस रंग के होंठों को मृत्यु सूचक माना गया है।*
*✦ गहरे लाल रंग के होंठ बताते हैं कि आप अत्यधिक प्रोटीन, वसा तथा नमक का सेवन करते हैं। इस रंग के होंठ बताते हैं कि आप में फेफड़े, लिवर, किडनी, गालब्लैडर, स्प्लीन तथा पैंक्रियाज के रोग होने की संभावना है या शुरुआत हो चुकी है।*
✦ गहरे रंग के होंठ बताते हैं कि आपके रक्त में नमक तथा वसा की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है जिसके कारण ब्लड के सर्कुलेशन में बाधा होती है, केपेलरीज़ ब्लॉक हो जाती हैं जिसके कारण होंठों का रंग गहरा हो जाता है। इस रंग के होंठ किडनी, लिवर एवं गालब्लैडर के रोगों की तरफ़ भी इशारा करते हैं।*
*✦ ब्लड केपेलरीज़ के अत्यधिक फैल जाने के कारण होंठों का रंग चटख लाल हो जाता है। यह श्वसनतंत्र की खराबी का एक कारण है। ये यह भी बताता है कि रोगी का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तथा रक्त का प्रवाह शरीर में तेज़ है। होंठों का यह रंग शोथ एवं संक्रमण का भी सूचक है*
*कई बार शुरुआती दौर में बीमारियां उभरकर सामने नहीं आ पातीं। ऐसे में बीमारी बढ़ने से पहले डॉक्टर से संपर्क कर आप भविष्य की परेशानियों से बच सकते हैं।*
*आज नाखून के बारे में भी बता देते हैं, जिनके बारे में आमतौर पर लोग अनभिज्ञ रहते हैं।*
*नाखून लालिमायुक्त सफ़ेद, साफ़-सुथरे और चमकीले होने चाहिए। अगर नाखून जल्दी टूट रहे हैं तो इसका अर्थ है कि ज़रूर शरीर में कोई ऐसी क्रिया हो रही है, जो देर-सबेर बीमारी के रूप में सामने आ सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि शरीर में मिनरल्स और प्रोटीन समेत दूसरे पोषक तत्वों की कमी हो रही हो। थायरॉइड की समस्या, हार्मोन्स के असंतुलित होने का असर भी नाखूनों पर होता है।*
*नाखून के रंग से हमारे स्वास्थ्य व रोग की पहचान :*
*पीला रंग के नाखून :हल्के पीले, फ़ीके या कमज़ोर नाख्न एनीमिया, कुपोषण, हृदय रोग और लिवर की बीमारी का संकेत देते हैं। फंगल इन्फेक्शन होने पर नाखून पीले हो जाते हैं। डायबिटीज़, पीलिया, सिरोसिस और थायरॉइड जैसी बीमारी में नाखून पीले हो जाते हैं। अगर पीले-मोटे नाखून धीमी गति से बढ़ रहे हैं, तो यह फेफड़े की बीमारी का संकेत हो सकता है।*
*सफ़ेद धब्बे या सफ़ेद रंग के नाखून :कभी-कभी नाखूनों पर सफ़ेद धब्बे नज़र आने लगते हैं, तो वहीं कई बार पूरा नाखून ही सफ़ेद नज़र आता है। नाखूनों में यह सफ़ेदी लिवर, हृदय और आँत के रोग होने का संकेत देती है। अत्यधिक वसा का स्तर शरीर में बढ़ने पर भी नाखून सफ़ेद हो जाते हैं, खून की कमी भी इसका एक कारण है।*
*गहरे लाल रंग के नाखून :जब नाखूनों का रंग गहरा लाल होने लगे, तो यह हाई ब्लडप्रेशर का संकेत हो सकता है। इसी तरह अगर नाखूनों का रंग जामुनी हो जाए, तो समझ जाएँ कि आप लो ब्लडप्रेशर की चौथी अवस्था से गुज़र रहे हैं।*
*पर्पल या नीले रंग के नाखून :अगर शरीर में ऑक्सीजन का संचार ठीक प्रकार से नहीं हो रहा है, तो नाखून का रंग नीला होने लगता है। यह फेफड़े में संक्रमण, दिल की बीमारी या न्यूमोनिया का संकेत देता है। पाचनतंत्र की गड़बड़ी, अनिद्रा, डिप्रेशन, जीर्ण डायरिया एवं क़ब्ज़ में भी नाखून लाल हो जाते हैं।*
*गुलाबी और सफ़ेद रंग के नाखून :जब आधे नाखून का रंग अचानक गुलाबी और आधे नाखून का रंग सफ़ेद हो जाए तो समझ लीजिए कि यह गुर्दे के रोग का संकेत है।*
*गुलाबी और चमकदार नाखून :गुलाबी और चमकदार तथा चिकने नाखन बेहतरीन स्वास्थ्य की निशानी हैं। यदि नाखूनों का यह रंग न हो, तो वह इंगित करता है कि स्वास्थ्य ख़राब है या ख़राब होने वाला है।*
*नाखूनों पर लकीरें :यह कार्बोहाइड्रेट, नमक एवं शुगर का अधिक मात्रा में सेवन करने की निशानी है। लिवर, किडनी एवं पाचनतंत्र कमज़ोर होने पर भी नाखूनों पर लकीरें बन जाती हैं।*
*नाखूनों के सिरों का फटना :यह हृदय, प्रजनन और तंत्रिका तंत्र की कमज़ोरी को सचित करता है। यह टेस्टीज़ और ओवरी की क्रियाविधि में गड़बड़ का एक भरोसेमंद सूचक है। जिस तरफ़ की ओवरी या टेस्टिकल की क्रियाविधि गड़बड़ होगी उस तरफ़ के अँगूठे के नाखून के सिरे फटे हुए होंगे।*
*नाखूनों पर गड्ढे :अचानक से डाइट में परिवर्तन करने से नाखूनों में गड्ढे दिखाई देते हैं। यदि हम किसी एक जगह से दूसरी जगह या किसी अन्य देश में बस जाते हैं, तो भी नाखूनों में ये परिवर्तन आ जाते हैं।*
*नाखूनों का छिलना :शुगर, जंक फूड्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, अत्यधिक दवाइयों का सेवन करने से शरीर में मिनरल्स की कमी हो जाती है और नाखून छिलने लगते हैं। माहवारी की समस्या, यौन रोग , अनिद्रा, थकान, डिप्रेशन और डर का भी एक लक्षण नाखूनों का छिलना है।*
*नाखूनों के बेस पर चंद्रमा बनना (व्हाइट मून) :यदि आपकी चयापचय या मेटाबॉलिक दर धीमी है तो मून छोटा बनेगा। यदि चंद्रमा बड़ा है तो यह बताता है कि मेटाबॉलिज़्म की दर तेज़ है। बुढ़ापे में यह मून दिखाई नहीं देता है। अत्यधिक बड़ा मून शारीरिक दुर्बलता की निशानी है।*