आदिवासियों पर क्या हावी हो रहे हैं बांग्लादेशी शरणार्थी

परलकोट । शरणार्थियों ने आदिवासियों की घर-ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है. ये शरणार्थी जंगल काट रहे हैं और उस पर कब्ज़ा कर रहे हैं. आदिवासी लड़कियों से ब्याह कर ये चुनावी राजनीति में घुस गए हैं. सच कहें तो इनके कारण आदिवासी समाज संकट में आ गया है."


ये कहना है राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष और वरिष्ठ बीजेपी नेता नंद कुमार साय का.


दरअसल, देश में नागरिकता क़ानून को लेकर चल रहे विवादों के बीच भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में 60 साल पहले बसाए गए हिंदू शरणार्थियों को लेकर सवाल उठाए हैं.


राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि इन शरणार्थियों की वजह से बस्तर के आदिवासियों के सामने संकट खड़ा हो गया है. उनके अधिकार ख़त्म हो रहे हैं और उनकी जनसंख्या तक कम होती जा रही है.


हालांकि, बीते 60 सालों के दौरान अलग-अलग समय पर बसाए गए इन बांग्लादेशी शरणार्थियों के नेता ऐसे आरोपों को सिरे से ख़ारिज़ कर रहे हैं.


छत्तीसगढ़ में बंग शरणार्थी समाज के अध्यक्ष और बीजेपी नेता असीम राय का कहना है कि बांग्लादेशी शरणार्थियों के कारण कहीं कोई समस्या नहीं है.


उनका कहना है कि कुछ लोग राजनीति से प्रेरित हो कर इस तरह के आरोप लगा रहे हैं.


असीम राय कहते हैं, "हमारी दो पीढ़ियां यहीं पैदा हुईं. हममें और स्थानीय आदिवासियों में किसी तरह का कोई भेद नहीं है. हम एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं. तक़लीफ़ केवल उन्हें है, जो हमारे बीच फूट डालकर अपनी राजनीति करना चाहते हैं."


बीबीसी न्यूज  से साभार