500 साल बाद भव्य राममंदिर में विराजेंगे रामलला, बाबर के आदेश पर तबाह हो गई थी अयोध्या

 अयोध्या ।








संबत सर वसु बान भर नभ, ग्रीष्म ऋतु अनुमानि।         तुलसी अवधहिं जड़ भवन, अनरथ किए अनखानि।।

पांच सौ साल पुराने इस कालिमा को गोस्वामी तुलसीदास ने अपने दोहा सतक में वर्णन किया है। बाबर के आदेश पर उसके सेनापति मीरबाकी द्वारा श्रीरामजन्मभूमि मंदिर ढहाने और भीषण कत्लेआम से पूरी अयोध्या तबाह हुई थी। बाद में 134 साल तक अदालती मुकदमे में रामलला न्याय मांगते रहे।

23 मार्च 1528 से पहले श्रीरामजन्मस्थान मंदिर परिसर का व्यवस्थापन श्री पंचरामानंदीय निर्मोही अखाड़ा के पास था, लेकिन 1524 में महाराणा सांगा (संग्राम सिंह) को हराकर बाबर दिल्ली में तख्तनशीं हुआ। बाबर ने 1528 में दल-बल के साथ अयोध्या के शेखा घाघरा संगम पर डेरा डाला था।

फकीर फजल अब्बस कलंदर और मूसा आसिकान से दुआ मांगने गया तो उसे श्रीरामजन्मस्थान पर मंदिर बनाने के बाद ही दुआ कबूल करने की शर्त रखी गई थी। इसके बाद मीर बाकी ने बाबर का हुकुमनामा लेकर अयोध्या कूच किया। 17 दिन तक चले युद्ध में हिंदुओं की हार हुई। मंदिर बचाने में 1 लाख 72 हजार हिंदू शहीद हुए। इस दृश्य को गोस्वामी तुलसी दास ने कुछ यूं लिखा-

बाबर बर्बर आईके, कर लीन्हे करवाल। हने पचारि पचारि जनतुलसी काल कराल।।
रामजन्म मंदिर महि तोरि मसीत बनाय। जबहिं बहु हिंदुन हते, तुलसी कीन्हो हाय।।
दल्यो मीरबाकी अवध, मंदिर राम समाज। तुलसी रोवत ह्रदय अति त्राहि-त्राहि रघुराज।।