विचार संजीवनी
*भक्त --* लंबे समय से शरीर में बीमारी है जिससे हरदम बीमारी का चिंतन होता है। उसकी जगह भगवान का चिंतन कैसे हो ?
*स्वामी जी--* ऐसा मानो कि बीमारी के रूप में खुद भगवान आए हैं ! यह बात पक्की जमा लो। साक्षात भगवान कृपा करके हमारा पाप दूर करने के लिए, हमारे को शुद्ध, निर्मल बनाने के लिए आए हैं। ऐसा भाव रखोगे तो बीमारी तो दूर हो जाएगी, उससे पहले महान तपस्या हो जाएगी!
*'वासुदेवःसर्वम'* सब कुछ वासुदेव है तो क्या बीमारी वासुदेव नहीं है ? सुख में, दुख में, नफे में, घाटे में, अनुकूलता में, प्रतिकूलता में, हर एक अवस्था में भगवान हैं। यह परमात्माप्राप्ति का बहुत बढ़िया उपाय है ! यह सोचकर प्रसन्नता आनी चाहिए कि हमारा जन्म-मरण मिटाने के लिए भगवान कृपा करके बीमारी-रूप से आए हैं ! वैद्य कड़वी दवाई देता है तो वह अच्छी नहीं लगती, पर उसका परिणाम अच्छा होता है रोग मिट जाता है।
राम ! राम !! राम !!!
परम् श्रद्धेय स्वामी जी श्रीरामसुखदास जी महाराज
*परमप्रभु अपने ही महुँ पायो*, पृ. सं ७३