*ॐ श्री परमात्मने नमः*
श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के साथ जिज्ञासा समाधान
प्रश्न‒एक व्यक्ति को प्रेतबाधा है । वह प्रेत उसे नाम जप, पाठ आदि नहीं करने देता । तो क्या प्रेत साधन-भजन में बाधा डाल सकता है ? इससे बचने का उपाय क्या है ?
स्वामीजी‒साधकके भीतर जिस अंशमें संसार की मुख्यता है, उसी अंशमें प्रेत बाधा डाल सकता है । जिस अंश में भगवान् की मुख्यता है, उस अंश में वह बाधा नहीं डाल सकता । जैसे, ‘भगवान् मेरे हैं, मैं भगवान्का हूँ’‒इस अपनेपन में, भगवान् की प्रियता में वह बाधा नहीं डाल सकता ।
इस बाधासे बचनेका उपाय है‒‘हे मेरे नाथ ! हे मेरे प्रभो !’‒ऐसा पुकारे । दूसरे व्यक्तिसे नारायणकवच, हनुमानचालीसा आदि सुने और उसके द्वारा अभिमन्त्रित जल पीये । सत्संग करनेसे भी फर्क पड़ता है । अतः सत्संग, कीर्तन के समय वह मेरे सामने बैठे । कीर्तन करने से प्रेत भागता है । हनुमान चालीसा के पाठ से प्रेत पर हनुमान् जी की मार पड़ती है ।
जो पति अपनी पत्नीको कीर्तन, पाठ-पूजा नहीं करने देते, वे भी प्रेत ही हैं !!
प्रश्न‒कोई स्त्री या पुरुष मन्त्रके द्वारा दूसरेको अपने वशमें करके उससे कोई अनुचित कार्य करवाता है तो इसका दोष वशीभूत व्यक्तिको लगेगा या नहीं ?
स्वामी जी‒ज्यादा दोष तो वश में करने वाले को लगेगा, वशीभूत व्यक्ति को कम लगेगा । वास्तव में वशीकरण मन्त्र उसी पर चलते हैं, जिसके भीतर कामना है । जितनी कामना होगी, उतना दोष लगेगा । अगर कोई कामना न हो तो उस पर मन्त्र नहीं चल सकता; जैसे पत्थर पर जोंक नहीं लग सकती ।
प्रश्न‒कोई हमारे विरुद्ध तान्त्रिक प्रयोग (अभिचार आदि) करे तो उससे बचावका क्या उपाय ?_
स्वामीजी‒भगवान्का भजन करे । भजन करनेवालेपर अभिचार नहीं चलता; जैसे‒प्रह्लादजीपर कोई प्रयोग नहीं चला । हनुमानचालीसा, सुन्दरकाण्ड या रामायणका पाठ करनेसे भी प्रयोग नहीं चलता । इनसे हनुमान्जी रक्षा करते हैं ।
श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज