🥀तिल्ली प्लीहा – कुछदिन में हो जाएगी बढ़ी हुई तिल्ली बिल्कुल सही
🌺– तिल्ली हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण कार्य करती है. यह खून के लिए फ़िल्टर की तरह काम करती है. पुराना लाल खून के सेल्स को इसके द्वारा रीसाइकिल किया जाता है. इसमें प्लेटलेट्स और सफ़ेद ब्लड सेल्स स्टोर रहते हैं. तिल्ली बाहरी बैक्टीरिया से भी लड़ने में मदद करती हैं जिनके कारण निमोनिया जैसे रोग पैदा होते हैं. इसके कुछ कार्य निमिन्लिखित है.
🌼प्लीहा का मुख्य काम खून को छानना है तथा भक्षक कोशिकाओं जैसे लिम्फोसाइट्स और मोनोसाइट्स का निर्माण करना है.
🌻प्लीहा में मौजूद भक्षक कोशिकाएं खून से क्षय प्राप्त या मृत लाल कोशिकाओं ) एवम प्लेटलेट्स, सूक्षम जीवाणुओं तथा अन्य कोशिकीय कचरे (Debris) को हटाने में सहायता करती है. भक्षक कोशिकाएं जीर्ण लाल रक्त कोशिकाओं के हिमोग्लोबिन से आयरन को भी हटती हैं तथा अस्थिसज्जा (Bone Marrow) में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए इसे रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) में लौटा देती हैं. हिमोग्लोबिन के टूटने से बिलरुबिन पिगमेंट का उत्पादन होता है जो लीवर में परिसंचरित (Circulate) होता है.
🌼प्लीहा के रक्त में विद्यमान एंटीजेंस लिम्फोसाइट्स को क्रियाशील बनाकर कोशिकाओं में विकसित होते हैं. तथा एंटी बॉडीज का निर्माण करते हैं.
🌼भ्रूण अवस्था में प्लीहा लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती है. बाद में यह ताज़ी बनी लाल रक्त कोशिकाओं को और प्लेटलेट्स को संचयित (Store) रखती है.
🌼प्लीहा रक्त के भण्डारण का काम करती है.
🌾 – शरीर में तिल्ली कि स्थिति.
तिल्ली (प्लीहा – Spleen) पेट में बांयी और ऊपर की और रहती है. खून की अधिकता और कमी के अनुसार इसका आकार घटता बढ़ता रहता है. सामान्यतः इसकी लम्बाई 5 इंच, चौड़ाई 1-2 इंच, मोटाई लगभग 12 इंच तथा वजन तीन छटांक होता है.
🌾 क्यों बढती है तिल्ली.
एलॉपथी के अनुसार बीमारी के अधिक समय तक शरीर में बने रहने से, मलेरिया होने से, दूषित स्थानों पर रहने, अथवा चिकने, मीठे, भारी पदार्थों का अधिक सेवन करने से प्लीहा बढ़ जाती है.
🌼 किस स्थिति में हो जाता है असाध्य.
यदि प्लीहा के रोगी की नाक तथा दांत से रक्त गिरे, मुख से रक्त की उल्टी हो, रक्त मिले हुए दस्त हों, आँख, पाँव, तथा सम्पूर्ण शरीर में सूजन हो, गुदा से रक्त गिरे, एवम दांतों की जड़ों में घाव के साथ साथ पांडू तथा कामला (पीलिया) के लक्षण हों तो ऐसे रोगी के जीवन की आशा बहुत कम रहती है.
🌻 प्लीहा रोगी के लक्षण.
– प्लीहा वृद्धि के कारण रोगी अत्यंत दुखी रहता है. उसे हर समय मंद मंद ज्वर बना रहता है, अग्नि मंद हो जाती है, बल घट जाता है, तथा शरीर पीला पड़ जाता है. तिल्ली के स्थान पर दर्द होता है, जलन होती है, कब्ज बना रहता है, पेशाब कम होती है, तथा श्वांस, खांसी, प्यास, वमन (उल्टी) आदि उपद्रव प्रकट होते हैं. मुंह का स्वाद ख़राब रहता है. आँखें तथा हाथ की अंगुलियाँ एवम नाख़ून पीले पड़ जाते हैं. आँखों के सामने अँधेरा छा जाने लगता है और बेहोशी आदि के लक्षण दीखते है. प्लीहा के अत्यधिक बढ़ जाने पर दांत तथा नाक से खून गिरना, खून की उल्टी, दांतों की जड़ों में घाव, तथा सम्पूर्ण शरीर में सूजन के साथ ही पांडू कामला (पीलिया) के लक्षण प्रकट हो जाते हैं. इस बीमारी में ज्वर या तो निरंतर बना रहता है. अथवा समय छोड़ छोड़कर आता है. पेट बढ़कर बाहर की और निकल आता है. किसी किसी का सम्पूर्ण शरीर सूख जाता है. परन्तु कुछ लोग तिल्ली अथवा यकृत (लीवर) के बहुत बढ़ जाने पर भी स्वस्थ बने रहते हैं. उन्हें पाचन सम्बन्धी कोई शिकायत भी नहीं होती.
🌻– अभी जानिये प्लीहा को सही करने के घरेलु और आयुर्वेदिक नुस्खे.
निम्बू 🌺– निम्बू को बीच में से काटकर और उसको तवे पर गर्म करके थोडा सेंधा नमक मिलाकर भोजन से पहले जितना चूसा जा सके उतना चूसे. कुछ दिन ऐसा करने से बढ़ा हुआ लीवर और बढ़ी हुयी तिल्ली दोनों सही होकर अपने प्राकृतिक आकार में आ जाती है. Tilli ka ilaj
आम और शहद = 70 ग्राम आम का रस 15 ग्राम शहद मिलाकर हर रोज़ सुबह 3 हफ्ते तक पीने से तिल्ली के घाव और सूजन में लाभ होता है. इस औषिधि में खटाई ना खाएं.
पपीता –🌺 तिल्ली में नियमित पपीता खाने से लाभ होता है.
गाजर –🌹 गाजर का आचार बनाकर खिलाने से बढ़ी हुई तिल्ली अपने वास्तविक रूप में आती है.
करेला 🌺– करेले का रस 25 ग्राम. एक कप पानी में मिलाकर दिन में तीन बार पियें. कुछ दिन प्रयोग करने से बढ़ी हुयी तिल्ली में आराम मिलेगा.
बैंगन –🥀 बैंगन के मौसम में जब तक बैंगन मिलते रहें तब तक खाने चाहिए. इस से भी बढ़ी हुयी तिल्ली सही होती है.
अजवायन –🍂 15 ग्राम अजवायन सुबह मिटटी के बर्तन में 2 कप पानी डालकर भिगो दें. दिन में छायादार स्थान पर और रात में बाहर खुले में रखें जिस से यह ओस के संपर्क में रहे. सुबह अर्थात 24 घंटे के बाद इस पानी को छानकर पियें. इस प्रकार ये प्रयोग 15 दिन से 3 महीने तक करें. इस से बढ़ी हुयी तिल्ली ठीक होती है. (अजवायन इस रोग में बहुत लाभकारी है,इसलिए रोगी को अजवायन अधिक सेवन करवानी चाहिए)
अजवायन और नमक –🍁 सेंधा नमक (आधा ग्राम) और अजवायन का चूर्ण (2 ग्राम) मिलाकर भोजन के बाद गर्म पानी के साथ निरंतर सेवन करने से तिल्ली की वृद्धि में लाभ होता है. इस से पेट का दर्द बंद होता है. पाचन क्रिया सही होती है. कृमिजन्य सभी विकार तथा अजीर्ण आदि रोग दो तीन दिन में ही दूर हो जाते हैं. पतले दस्त होते हों तो वे भी बंद हो जाते हैं. जुकाम में भी लाभ होता है.
अंजीर –🌺 तिल्ली की वृद्धि में 2 अंजीर को जामुन के सिरके में डालकर नित्य सुबह खाली पेट खाएं.
बथुआ –🌹 कच्चे बथुए का रस या बथुआ उबाल कर उसका उबला हुआ पानी पियें. इससे तिल्ली ठीक होती है. स्वाद के लिए इसमें सेंधा नमक मिलाएं.
मिटटी –🌺 तिल्ली के रोग में एक महीने तक गीली मिटटी लगाने से लाभ होता है.
🌼– अभी जानिये तिल्ली बढ़ने के आयुर्वेदिक घरेलु उपचार.
त्रिफला, सौंठ, काली मिर्च, पीपल, सहजन की छाल, दारुहल्दी, कुटकी, गिलोय, और पुनर्नवा को समान भाग में मिलाकर इसका काढ़ा बनाकर पी जाएँ. तिल्ली बढ़ने पर आराम मिलेगा.स्नेहा समूह
🥀तिल्ली बढ़ने पर बड़ी हरड, सेंधा नमक, और पीपल का चूर्ण पुराने गुड के साथ खाने से आराम होता है.
गिलोय और छोटी पीपल – गिलोय के दो चम्मच रस में तीन ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण और एक दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तिल्ली का विकार दूर होता है. भूख खुलकर लगती है.
🌹तिल्ली में वृद्धि होने पर आधा ग्राम नौसादर गर्म पानी के साथ सुबह के समय लेने से शीघ्र आराम मिलता है.
पुराना गुड और बड़ी हरड (पीली) के छिलके का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली बनायें. और ऐसी गोली दिन में दो बार प्रातः सांय हलके गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें. इस से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) यदि दोनों बढे हुयें हों तो भी ठीक हो जाते हैं. इसके तीन चार दिन सेवन से एसिडिटी में भी लाभ होता है.
,🍂 प्लीहा के लिए कुछ विशेष आयुर्वेदिक इलाज.
,,,,🌺प्लीहा शोथहर अर्क.
,🌺 – सज्जी खार डेढ़ किलो, बिना बुझा हुआ चूना (जिससे पुताई करते हैं) 75 ग्राम. दोनों को अलग अलग पीसकर आपस में मिला लें और 7 भागों में बाँट लें. अभी एक मिटटी के बर्तन में एक भाग डालकर इसमें 5 किलो पानी डालें और आग पर रख दीजिये. जब एक उबाल आ जाए तब नीचे उतार कर रख लें. कुछ दिन तक पड़ा रहने दें. जब इसकी गार नीचे बैठ जाए और पानी निथर जाए (अर्थात ऊपर साफ़ पानी दिखने लगे) तब ऊपर का पानी लेकर इसमें दवा का दूसरा भाग डालकर एक उबाल दिलाएं. और फिर इस को उसी प्रकार गार बैठने तक इंतजार करें और फिर निथरे पानी में तीसरा भाग डालें. इस प्रकार सातों भागों को इस प्रकार करें. अंत में जो पानी बचेगा वो ही प्लीहा शोथहर अर्क है. अर्क ठीक बना है या नहीं यह जानने के लिए अर्क में सर का बाल डालकर रख लें. यदि बाल जल जाए तो अर्क ठीक बना है. वरना सज्जी और चूना एक दो भाग और डालकर (उपरोक्त बताई गयी मात्रा के अनुसार) और एक दो बार और पकाएं. ठीक बन जायेगा.स्नेहा आयूर्वेद ग्रुप
इसकी 1 ग्राम से 2 ग्राम की मात्रा को 50 ग्राम पानी में डालकर पिलाया करें. कुछ ही दिनों में तिल्ली से शोथ हटकर तिल्ली असली हालत में आ जाएगी
प्लीहाघ्न चूर्ण.🥀
शुद्ध गंधक 50 ग्राम, भुना सुहागा, लाहोरी नमक, सांभर नमक, काला नमक, प्रत्येक 10-10 ग्राम बारीक पीसकर रख लें. बस दवा तैयार है.
बालकों को 1 ग्राम युवकों को 3 ग्राम पानी से दिया करे. प्लीहा शोथ, पाचन शक्ति की दुर्बलता, शुधा ना लगना, आदि के लिए अत्यंत हितकर है.
तिल्ली प्लीहा मूलद्राव🍃
मूली का रस 1 किलो, अदरक का रस 250 ग्राम, लहसुन का रस 125 ग्राम, नौशादर 60 ग्राम. मूली अदरक और लहसुन के रस को एक रोगनी मिटटी के बर्तन में डाल दीजिये, इसमें नौशादर भी पीसकर डाल दीजिये, फिर बर्तन का मुंह बंद करके 40 दिन तक रख दीजिये. 40 दिन बाद इस दवा को छानकर कांच की शीशी में भरकर रख लीजिये. रोगी की आयु और बल देखकर 1 ग्राम से 6 ग्राम तक की मात्रा 25 ग्राम पानी में डालकर सेवन कराएँ. तिल्ली की अनुपम औषिधि है.
तिल्ली प्लीहा के लिए फकीरी योग.🌼
यवक्षार असली और नौशादर ठीकरी, दोनों बराबर लेकर अलग अलग बारीक पीसकर मिला लीजिये. रोगी की आयु और बल देखर 1 से 6 ग्राम गाढ़ी छाछ के साथ दिया करें. एक से दो हफ्ते के अन्दर तिल्ली कितनी भी बढ़ी हुयी क्यों ना हो अपनी असली हालत में आ जाएगी.
तिल्ली प्लीहा के लिए नौशादर और एलो वेरा.🌾
1 किलो एलो वेरा का रस और 1 किलो नौशादर ठीकरी पीसा हुआ, दोनों को एक कलीदार बर्तन (ताम्बे या कांसे का बर्तन, जिसको अन्दर से कली की हुयी हो) में मुख बंद कर के रख देवें. 40 दिन बाद इसको कांच की बोतल में भर दें. रोगी को सुबह शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में पिलायें. बहुत ही उत्कृष्ट प्रयोग है.स्नेहा समूह
तिल्ली प्लीहा वृद्धि में अंजीर के प्रयोग.🌺
गन्ने का सिरका एक किलो, इसमें 12 ग्राम सज्जी क्षार पीसकर मिलादें. और फिर इसमें सूखे अंजीर इतने डालिए के वो सिरके में डूबे रहें. 21 दिन पड़ा रहने दें. इसके बाद 2 अंजीर नित्य प्रातः खाने को दें. बहुत गुणकारी प्रयोग है.
🌹अंजीर 24, नौशादर, खूबकला, रेवन्दचीनी, जीरा सफ़ेद, काला जीरा, पोदीना, बड़ी इलायची, टाटरी प्रत्येक 12-12 ग्राम लेकर बारीक कूट कर चीनी के या कांच के मर्तबान में डालकर ऊपर से 450 ग्राम सिरका डालकर रख दें. 20 दिन बाद खाने योग्य आचार बन जायेगा. हर रोग एक अंजीर रोगी को खिलाएं. 24 दिन में प्लीहा रोग सही होगा. इसकी सूजन उतर जाएगी. रोगी को भूख भी खुलकर लगेगी.
तिल्ली बढ़ने पर क्या ना खाएं. 🌺
🌹इस रोग में भारी, गरिष्ठ, घी तेल में तले, मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन ना करें.
🌹घी और चीनी का प्रयोग बहुत ही कम करें. बंद ही कर दें तो अच्छा है.स्नेहा समूह
🥀शराब, चाय, कॉफ़ी, कोल्ड ड्रिंक्स, तम्बाकू, मांस, 🥀मछली, मिठाइयाँ ना खाएं.
🏵️तिल्ली बढ़ने पर क्या ना करें.
🥀कब्ज की शिकायत ना होने दें.
🌹ज्यादा परिश्रम के काम ना करें.
🌹रात्रि में देर तक जागरण ना करें.