पटना। असम को शेष भारत से अलग करने का विवादित बयान देकर चर्चा में आए शरजील इमाम को बिहार के जहानाबाद इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है। शरजील इमाम को राजनीतिक संरक्षण देने के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक पूर्व सहयोगी अरुण कुमार का नाम सामने आ रहा है। वे जहानाबाद से जदयू के टिकट पर 1999-2004 की लोकसभा में सांसद रह चुके हैं। शरजील इमाम के कंधे पर अरुण कुमार का हाथ रखे एक फोटो सामने आने के बाद यह मामला गरमा गया है।
दरअसल, शरजील इमाम जहानाबाद के काको गांव का रहने वाला है। यह इलाका मुस्लिम बाहुल्य है और मुस्लिम वोटरों का साथ पाने के लिए अरुण कुमार शरजील इमाम के पिता अकबर इमाम को आगे बढ़ाते रहते थे और उन्हें राजनीतिक संरक्षण देते थे। पिता अकबर इमाम की मृत्यु के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी शरजील इमाम के कंधे पर आ गई। इसी क्रम में अरुण कुमार का साथ शरजील इमाम को मिल गया।
शरजील इमाम वर्ष 2005 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर जहानाबाद सदर से चुनाव भी लड़ चुका है। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन चुनाव लड़ने के कारण क्षेत्र में उनकी ख्याति एक तेज-तर्रार युवा नेता की बन गई। उसको आगे बढ़ाने में अरुण कुमार की भूमिका काफी अहम मानी जाती है।
उपेंद्र कुशवाहा के साथ आ गए थे अरुण कुमार
अरुण कुमार नीतीश कुमार के विशेष सहयोगी माने जाते थे। बाद में उनसे मोहभंग होने के बाद वे आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा के साथ चुनावी मैदान में आ गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने आरएलएसपी के टिकट पर जहानाबाद से जीत दर्ज की। हालांकि बाद में उपेंद्र कुशवाहा से भी उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने अपनी अलग राह अपना ली।
शरजील इमाम के मामले पर अरुण कुमार का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक उनका पक्ष सामने नहीं आ सका है।