साइटिका रोग अधिकतर 40 वर्ष के बाद या उसके आसपास, विशेषकर पुरुषों में अधिक होता है।
साइटिका रोग अधिकतर 40 वर्ष के बाद या उसके आसपास, विशेषकर पुरुषों में अधिक होता है। लेकिन कई बार यह रोग कुछ कारणों से यंग लोगों में भीदेखा जाता है। साइटिका रोग मुख्य रूप से कमर या नितंबों से शुरु होकर पैर के टखने तक भयंकर पीड़ा देता है। नाड़ी में आघात, दर्द या मोच होने से होता है। इस रोग में नाड़ी के भीतरी भाग में कुछ सूजन आ जाती है जिससे नाड़ी मोटी और गुलाबी रंग की हो जाती है।आज हम बताने जा रहे हैं आपको कुछ ऐसे आयुर्वेदिक नुस्खे बताने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप साइटिका पेन से राहत पा सकते हैं। - तेल, घी, अदरक का रस और बिजौरे नींबू के रस को समान मात्रा में मिलाकर उसमें गुड़ डालकर पीने से साइटिका व अन्य तरह के दर्द में भी राहत मिलती है। - छिलके रहित एरंड के बीजों को पीसकर 250 ग्राम दूध में पकाकर पीने से साइटिका रोग में बहुत राहत मिलती है। - सुबह एरंड तेल को गोमूत्र के साथ एक महीने तक पीने साइटिका रोग दूर हो जाता है। - निर्गुंडी के पत्तों का काड़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से साइटिका रोग नष्ट हो जाता है। - अडूसा, दंती और चिरायता का काढ़ा बनाकर उसमें एरंडी तेल मिलाकर पीने से बहुत कष्टदायी साइटिका भी दूर हो जाता है।