पश्चिम बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास, ममता ने माकपा-कांग्रेस से साथ आने की अपील की

कोलकाता


नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। इन सबके बीच राजस्थान और पंजाब की राह पर चलते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया। पश्चिम बंगाल के संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया था।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी माकपा और कांग्रेस से अपील करते हुए कहा कि संकीर्ण राजनीतिक मतभेदों को अलग रखकर केंद्र में 'फासीवादी भाजपा सरकार' के खिलाफ एक साथ लड़ें। उन्होंने एनपीआर, एनआरसी और सीएए परस्पर संबंधित बताते हुए कहा कि नया नागरिकता संशोधन कानून जनविरोधी और संविधान विरोधी है। हम चाहते हैं कि इस कानून को तुरंत निरस्त किया जाए।

जोर देकर कहा कि कांग्रेस और वाम मोर्चे को हमारी सरकार के खिलाफ प्रचार करने से रोकना चाहिए, उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि हम अपने संकीर्ण मतभेदों को भुलाकर देश को बचाने के लिए एकजुट होकर लड़ें।

ममता बनर्जी ने विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात पर की गई आलोचना 'दीदी- मोदी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं' के नारे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को एनपीआर की बैठक (दिल्ली में) छोड़ने की हिम्मत थी, अगर भाजपा चाहती है तो वह मेरी सरकार को बर्खास्त कर सकती है।

ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव को वामपंथी पार्टियों के अलावा कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ अपील भी दायर करने की तैयारी में है।

इससे पहले केरल और कांग्रेस नेतृत्व वाले पंजाब और राजस्थान के विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। इसके अलावा कांग्रेस की ही सत्ता वाले मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी जल्द ही यह कदम उठाए जाने की संभावना सूत्रों ने जताई है। 

महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार भी जल्द ही विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पेश करेगी। कांग्रेस प्रवक्ता राजू वाघमारे ने कहा कि हमारे गठबंधन के वरिष्ठ नेता जल्द ही इस मुद्दे पर बैठक आयोजित कर निर्णय लेंगे।