जिज्ञासा भक्तों की समाधान श्रद्धेय रामसुखदास जी महाराज का
ॐ श्री परमात्मने नमः
_प्रश्न‒आजकल मन्त्रोंकी सिद्धि न होनेमें क्या कारण है ?_
*स्वामीजी‒मनमें परस्त्रीका चिन्तन करनेसे मनमें वैसी शक्ति नहीं रहती । इसलिये कहा है‒*
_जिह्वा दग्धा परान्नेन करौ दग्धौ प्रतिग्रहात् ।_
_मनो दग्ध परस्त्रीभिः कार्यसिद्धिः कथं भवेत् ॥_
_(कुलार्णव॰ १५ । ७७)_
*‘दूसरेका अल खानेसे जिसकी जीभ जल गयी है, दान लेनेसे जिसके हाथ जल गये हैं और दूसरेकी स्त्रीका चिन्तन करनेसे जिसका मन जल गया है, उसे सिद्धि कैसे मिल सकती है ?’*
*दूसरी बात, आजकल तन्त्रविद्याके जानकार गुरु भी प्रत्यक्षमें नहीं मिलते । उत्तराखण्डमें सैकड़ों वर्षोंकी आयुवाले ऐसे महापुरुष विद्यमान हैं । परन्तु अपनी सच्ची, तीव्र लगन हो तो वे स्वयं आकर मिलते हैं ।*
_प्रश्न‒किसी मन्त्र, तन्त्र अथवा यन्त्रका प्रभाव कबतक रहता है ?_
*स्वामीजी‒यदि अनुष्ठानकर्ता संयमी है, श्रेष्ठ आचरण तथा भाववाला है तो उसके द्वारा प्रयुक्त किये गये, बनाये गये यन्त्र आदि अधिक समयतक प्रभावशाली रहते हैं ।*
_प्रश्न‒सन्तोषी माताके प्रचारमें क्या वास्तविकता है ?_
*स्वामीजी‒बिल्कुल शास्त्रविरुद्ध, मनगढ़ंत है ! मनगढ़ंत देवी-देवताओंको नहीं मानना चाहिये ।*
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*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*