*।। राम-राम ।।*
*मनुष्य संयम तो सदा रख सकता है, पर भोग सदा नहीं कर सकता - यह स्वतःसिद्ध बात है। अतः संयम के विषय में हिम्मत नहीं हारनी चाहिये और गर्भपात, नसबन्दी - जैसे महापाप से बचना चाहिये।*
*जबतक यह हिन्दू - समाज गर्भपात - जैसे महापाप से नहीं बचेगा,*
*तबतक इसका उद्धार मुश्किल है; क्योंकि अपना पाप ही अपने-आपको को खा जाता है । अगर यह समुदाय अपनी उन्नति और वृद्धि चाहता है तो इस घोर* *महापापसे, ब्रह्महत्यासे दुगुने पाप से बचना चाहिये। एक भाई ने हमें बताया कि गतवर्ष भारत में लगभग इक्कीस लाख गर्भपात किये गये ! ऐसी लोक-परलोक को नष्ट करने वाली महान् हत्या से समाज की क्या गति होगी, इसे भगवान् ही जाने!* *धर्मपरायण भारत में कितना धर्मविरुद्ध काम हो रहा है, इसका कोई पारावार नहीं है।*
*इसका परिणाम बड़ा भयंकर निकलेगा,* *इसलिये समय रहते चेत जाना चाहिये ----*
*"साधनसुधासिन्धु"*
*(लेखक श्रद्धेय स्वामीजी श्री*
*रामसुखदासजी* *महाराज )*
*महापाप से बचो लेख से*
*लिया गया पृष्ठ संख्या ९६६*