दालचीनी क्या है ?
दालचीनी विश्व में मसालों के रूप में काम में ली जाती है। यह एक पेड़ की छाल होती है।
दालचीनी के औषधीय गुण :
दालचीनी मन को प्रसन्न करती है।
सभी प्रकार के दोषों को दूर करती है।
यह पेशाब और मैज यानी की मासिक-धर्म को जारी करती है।
धातु को पुष्ट करती है।
मानसिक उन्माद यानी कि पागलपन को दूर करती है।
इसका तेल सर्दी की बीमारियों और सूजनों तथा दर्दो को शान्त करता है।
सिरदर्द के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि होती है।
दालचीनी (Dalchini)उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है ।
यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।
यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है ।
बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है ।
संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।
दालचीनी की उत्तम गुणवत्ता की पहचान :
जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर तमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।
दालचीनी सेवन की मात्रा :
दालचीनी गर्म होती है। अत: इसे थोड़ी सी मात्रा में लेते हुए धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। परन्तु यदि किसी प्रकार का दुष्प्रभाव या हानि हो तो सेवन को कुछ दिन में ही बंद कर देते हैं और दुबारा थोड़ी सी मात्रा में लेना शुरू करें।
दालचीनी पाउडर की उपयोग की मात्रा 1 से 5 ग्राम होती है। पाउडर चम्मच के किनारे से नीचे तक ही भरा जाना चाहिए। बच्चों को भी इसी प्रकार अल्प मात्रा में देते हैं। दालचीनी का तेल 1 से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है। इसलिए इसे आंखों के पास न लगाएं।
दालचीनी के फायदे कुछ प्रयोग :
1.हकलाना तुतलाना:– दालचीनी (Cinnamon)को रोजाना सुबह-शाम चबाने से हकलापन दूर होता है।
2.वीर्यवर्द्धक:- दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।
3.पेट में गैस:-दालचीनी (Cinnamon)पेट की गैस को नष्ट करती है तथा पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) को बढ़ाती है।
2 चुटकी दालचीनी को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर पानी के साथ लेने से पेट की गैस नष्ट हो जाती है।
दालचीनी के तेल में 1 चम्मच चीनी (शक्कर) डालकर पीने से पेट की गैस में लाभ होता हैं। ध्यान रहे कि अधिक मात्रा में लेने से हानिकारक होती है।
4.पित्त की उल्टी:- दालचीनी (Cinnamon)को पीसकर शहद में मिलाकर रोगी को पिलाने से पित्त की उल्टी बंद हो जाती है।
5.कब्ज:-दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची थोड़ी सी मात्रा में मिलाकर खाते रहने से कब्ज और अजीर्ण (भूख न लगना) में लाभ होता है।
6.इनफ्लुएंजा:-5 ग्राम दालचीनी, 2 लौंग और चौथाई चम्मच सोंठ को लेकर पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। चौथाई पानी के शेष रहने पर छानकर इस पानी के 3 हिस्से करके दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से इनफ्लुएंजा में लाभ मिलता है।
गले का काग (कौआ) की वृद्धि हो जाना:- दालचीनी (Cinnamon)को बारीक पीसकर अंगूठे से सुबह के समय काग पर लगाएं और रोगी को लार टपकाने के लिए बोलें। इस प्रयोग से गले की कागवृद्धि दूर हो जाएगी।
7.अपच:- दालचीनी की 2 ग्राम छाल के चूर्ण को दिन में दो बार पानी से लेने से अपच (भोजन का न पचना) का रोग ठीक हो जाता है।
भूख न लगना:- 2 ग्राम दालचीनी और अजवायन को बराबर मात्रा में लेकर 3 भाग करके भोजन से पहले चबाने से भूख लगने लगती है।
8.खांसी –दालचीनी को चबाने से सूखी खांसी में आराम मिलता है और यदि गला बैठ गया हो तो आवाज साफ हो जाती है।
चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 कप पानी में उबालकर 3 बार पीते रहने से खांसी ठीक हो जाती है तथा बलगम बनना बंद हो जाता है।
20 ग्राम दालचीनी, 320 ग्राम मिश्री, 80 ग्राम पीपल, 40 ग्राम छोटी इलायची, 160 ग्राम वंशलोचन को बारीक पीसकर मिलाकर मैदा की छलनी से छान लेते हैं। इसके बाद एक चम्मच शहद को आधा चम्मच मिश्रण में मिलाकर सुबह-शाम चाटे जो लोग शहद नहीं लेते हैं वे गर्म पानी से फंकी करें। यह मिश्रण घर में रखते हैं। जब कभी किसी को खांसी हो इसे देने से लाभ होता है।
50 ग्राम दालचीनी पाउडर, 25 ग्राम पिसी मुलहठी, 50 ग्राम मुनक्का, 15 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम शक्कर को लेकर बारीक पीसकर पानी मिलाकर मटर के दाने के आकार की गोलियां बना लेते हैं। जब भी खांसी हो 1 गोली चूसे अथवा हर 3 घंटे बाद एक गोली चूसे। इससे खांसी नहीं चलेगी और मुंह का स्वाद हल्का होगा।
कायफल के चूर्ण को दालचीनी के साथ खाने से पुरानी खांसी और बच्चों की कालीखांसी दूर हो जाती है।
9.दमा:- दालचीनी का छोटा सा टुकड़ा, चौथाई अंजीर या तुलसी के पत्ते, नौसादर (खाने वाला) ज्वार के दाने के बराबर, 1 बड़ी इलायची, काली दाख 4 (काले मुनक्के) थोड़ी सी मिश्री को मिलाकर बारीक पीसकर सेवन करने से दमे के रोग में लाभ होता है।
विधि : एक कप पानी में सभी चीजों को लेकर उबाल लेते हैं। जब आधा पानी शेष रह जाए तो छानकर रोजाना सुबह व शाम को पीना चाहिए। पीने के आधा घंटे बाद तक कुछ न खाएं, पानी भी न पियें। इसके सेवन करने से दमे का दौरा समाप्त हो जाता है।
गठिया(जोड़ों का दर्द/सूजन):-
1 भाग शहद, 2 भाग हल्का गर्म पानी और 1 छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को मिला लेते हैं। जिस जोड़ में दर्द कर रहा हो, उस पर धीरे-धीरे इसकी मालिश करें। दर्द कुछ ही मिनटों में मिट जाएगा।
1 गिलास दूध में 1 गिलास पानी मिलाकर इसमें 1 चम्मच पिसी हुई दालचीनी, 4 छोटी इलायची, 1-1 चम्मच सोंठ व हरड़ तथा लहसुन की 3 कली के छोटे-छोटे टुकडे़ डालकर उबालें जब दूध आधा शेष रह जाए तो इसे गर्म ही पीना चाहिए। लहसुन को भी दूध के साथ ही निगल जाना चाहिए। इससे आमवात व गठिया में लाभ मिलता है।
10.बालों का झड़ना:- आलिव ऑयल गर्म करके इसमें 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर, लेप बनाकर, सिर में बालों की जड़ों व त्वचा पर स्नान करने से 15 मिनट पहले लगा लें। जिन लोगों के सिर के बाल गिरते हो और जो गंजे हो गये हो उन्हें लाभ होता है।
11.बालों का दोमुंहा होना:-बालों पर एक चमकदार और सुरक्षित परत होती है जिसे क्यूटिकल कहते हैं। जब यह परत टूटती है, तो बालों के सिरे भी टूटने लगते हैं। कई बार बालों के अत्यधिक सूखे और कमजोर होने के कारण भी बाल दोमुंहे होने लगते हैं। गीले बालों में कंघी करने से भी बालों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचता है और यह भी बालों के दोमुंहे होने का कारण बनते हैं। इसी तरह तेज-तेज कंघी करने और धूप में ज्यादा देर रहने से भी बाल कमजोर हो जाते हैं।
दोमुंहे बालों का सबसे अच्छा यही उपचार है कि उन्हें काट दें। बालों को नियमित रूप से काट-छांटकर उन्हें दोमुंहा होने से बचाया जा सकता है। बालों की सुरक्षा हेतु दालचीनी का प्रयोग करें। इससे बाल मजबूत और सुरक्षित रहेंगे।
12.मूत्राशय संक्रमण:- 2 चम्मच दालचीनी पाउडर और 1 चम्मच शहद को 1 गिलास हल्के गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे मूत्राशय के रोग नष्ट हो जाते हैं।
13.दांत दर्द:-एक चम्मच दालचीनी पाउडर को 5 चम्मच शहद में मिला लेते हैं। इसे दांतों पर रोजाना दिन में 3 बार लगाना चाहिए। इससे दांत दर्द ठीक हो जाता है। जब तक दर्द पूरा ठीक न हो जाए तो इसे लगाना चाहिए।
दालचीनी का तेल दुखते दांत पर लगाने से दांत दर्द ठीक हो जाता है। चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर की फंकी गर्म पानी से दिन में 3 बार लेने से लाभ मिलता है। इसे 1 चम्मच शहद में भी मिलाकर दे सकते हैं।
14.जुकाम:-1 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम मुलहठी और 7 छोटी इलायची को अच्छी तरह से पीसकर 400 मिलीलीटर पानी में मिलाकर आग पर पकाकर रख दें। पकने के बाद जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसमें 20 ग्राम मिश्री डालकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
एक बड़े चम्मच शहद में चौथाई चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाकर एक बार रोजाना खाने से तेज व पुराना जुकाम, पुरानी खांसी और साइनसेज ठीक हो जाते हैं। इसे दिन में कम से कम 3 बार लेना चाहिए तथा रोग ठीक होने तक लेते रहें। रोग की प्रारम्भ में इसे 2 बार रोजाना लेना चाहिए।
1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को मिश्री के साथ रोजाना 2-3 बार सेवन करने से जुकाम में आराम आता है। थोड़ी सी बूंदे इस तेल की रूमाल में डालकर सूंघने से भी लाभ होता है।
15.कंधे में दर्द :कभी-कभी कंधे में दर्द होता है। दालचीनी का प्रयोग करने से कंधे का दर्द ठीक हो जाता है।
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना 1 चम्मच सुबह के समय सेवन करने से शरीर में रोगाणुओं और वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है, शरीर की प्रतिरोधी शक्ति बढ़ती है। कंधे पर इसी मिश्रण की मालिश करके अन्त में लेप करना चाहिए।
16.सन्तानहीनता, बांझपन:-वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है, यदि रोजाना सोते समय 2 बड़े चम्मच दालचीनी ले तो वीर्य में वृद्धि होती है और उसकी यह समस्या दूर हो जाती है।
जिस स्त्री के गर्भाधारण ही नहीं होता, वह चुटकी भर दालचीनी पाउडर 1 चम्मच शहद में मिलाकर अपने मसूढ़ों में दिन में कई बार लगायें। थूंके नहीं। इससे यह लार में मिलकर शरीर में चला जाएगा। इससे स्त्रियां कुछ ही दिनों में गर्भवती हो जाती हैं।
17.गर्भस्राव:– कमजोर गर्भाशय के कारण बार-बार गर्भस्राव होता रहता है। गर्भधारण से कुछ महीने पहले दालचीनी और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच रोजाना सेवन करने से गर्भाशय शक्तिशाली हो जाएगा।
18.मुंह से बदबू:- दालचीनी का टुकड़ा चबाकर चूसने से मुंह की बदबू दूर हो जाती है और दांत मजबूत हो जाते हैं।
19.धूम्रपान:- 1 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर एक चौड़े मुंह की छोटी शीशी में रख लें। जब भी बीड़ी, सिगरेट, जर्दा खाने की इच्छा हो तो इसमें अंगुली डुबोकर चूसें। इससे धूम्रपान छूट जाएगा। मन में निश्चय करके भी धूम्रपान को छोड़ा जा सकता है।
20.कोलेस्ट्राल:- 2 बड़े चम्मच शहद, 3 चम्मच दालचीनी पाउडर और 400 मिलीलीटर चाय का उबला पानी घोलकर पियें। इसे पीने के 2 घंटे के बाद ही खून में 10 प्रतिशत कोलेस्ट्राल कम हो जाएगा। यदि 3 दिन तक लगातार पियें तो कोलेस्ट्राल का कोई भी पुराना रोगी हो वह ठीक हो जाएगा।
21.हार्टअटैक:- शहद और दालचीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच नाश्ते में ब्रेड या रोटी में लगाकर रोजाना खाएं। इससे धमनियों का कोलेस्ट्राल कम हो जाता है। जिसको एक बार हार्ट अटैक आ चुका है, उनको दुबारा हार्ट अटैक नहीं आता है।
22.दीर्घ आयु :एक चम्मच दालचीनी पाउडर को 3 कप पानी में उबालें। उबलने के बाद हल्का सा गर्म रहने पर इसमें 4 चम्मच शहद मिलाएं। एक दिन में इसे 4 बार पियें। इससे त्वचा कोमल व ताजी रहेगी और बुढ़ापा भी दूर रहेगा।
वरिष्ठ नागरिक जो दालचीनी और शहद का बराबर मात्रा में सेवन करते हैं उनका शरीर अधिक फुर्तीला और लचकदार रहता है।
23.मोटापा घटाना:– 1 कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उबालते हैं। इसमें 1 चम्मच शहद डालकर रोजाना सुबह नाश्ते से पहले तथा रात को सोने से पहले पियें इससे वजन कम होगा और मोटापा नहीं बढे़गा।
24.बहरापन:-
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात बहरापन दूर होता है।
कान से कम सुनाई देने के रोग (बहरापन) में कान में दालचीनी का तेल डालने से आराम आता है।
25.मुंहासें:-
3 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर और कुछ बूंदे नींबू के रस की डालकर लेप बनाकर चेहरे पर लगाएं। फिर 1 घंटे के बाद धोएं। इससे चेहरे के मुंहासे ठीक हो जाएंगे।
चौथाई चम्मच दालचीनी में नींबू के रस की कुछ बूंदे डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। इसे एक घंटे बाद धोते हैं। इससे मुंहासे ठीक हो जाएंगे।
26.मुंह पर दाग:- दूध की मलाई में चुटकी भर दालचीनी मिलाकर चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
27.त्वचा संक्रमण:- दाद, रिंगवर्म और समस्त त्वचा संक्रमण रोगों को ठीक करने के लिए बराबर मात्रा में शहद और दालचीनी को मिलाकर रोजाना लगाना चाहिए।
28.डायबिटीज से होने वाले रोग:- दालचीनी का रोजाना सेवन करने से थकान, आंखों की रोशनी कम होना, दिल, किडनी खराब होना आदि रोगों से बचाव होता है। सेवन
विधि:- 1 कप पानी में दालचीनी पाउडर को उबालकर, छानकर रोजाना सुबह पियें। इसे कॉफी, खाद्य-पदार्थों में भी मिलाकर पी सकते हैं। इसे सेवन करने के हर दसवें दिन मधुमेह की जांच करवाकर इसके लाभ को देखें। सावधानी:- दालचीनी बताई गई अल्प मात्रा में लें, इसे अधिक मात्रा में लेने से हानि हो सकती है।
29.हिचकी:-
3 बूंद दालचीनी के तेल को आधा कप पानी में मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
दालचीनी चबाकर चूसने से हिचकी आना रुक जाती है।
30.पेट के कीडे़:- चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण को 1 चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना एक बार लेना चाहिए। इससे पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
31.बवासीर:-
चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण को 1 चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना एक बार लेना चाहिए। इससे बवासीर का रोग दूर हो जाता है।
आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 कप पानी में उबालकर, खाने के आधा घंटे बाद सुबह-शाम पीने से रक्तस्रावी बवासीर ठीक हो जाती है।
32.फोड़ा:- दालचीनी को पानी में पीसकर उठते फोड़े पर लेप करने से फोड़ा बैठ जाता है तथा फोड़ा पकता नहीं है।
33.त्वचा की सूजन:- दालचीनी को पानी में पीसकर चमड़ी में जहां पर रोग हो वहां पर लेप करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं तथा सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है।
34.टांसिल:-
चुटकी भर दालचीनी को 1 चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 3 बार चूसने से टांसिल (गांठे) ठीक हो जाती है।
दालचीनी को पीसकर शहद में मिलाकर उंगली से टांसिल पर लगाने से लाभ होता है।
35.टायफाइड:- टायफाइड की चिकित्सा जिस किसी प्रकार की औषधि से हो रही हो, उनके साथ 1 बार रोजाना 3 बूंद दालचीनी का तेल आधा कप पानी में डालकर रोगी को पिलाने से तेजी से लाभ होता है।
36. स्मरणशक्तिवर्द्धक:-
सुबह-शाम आधा चम्मच दालचीनी पाउडर की पानी से फंकी लेते रहने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है तथा बुद्धि का विकास होता है।
37.पेशाब में रुकावट:- दालचीनी लेने से पेशाब अधिक बनता है और पेशाब की रुकावट दूर होती है। इससे पेशाब खुलकर और बिना दर्द के आता है। पेशाब में मवाद आना बंद हो जाता है। इसके लिए रोजाना 3 बार आधा चम्मच दालचीनी पाउडर की पानी से फंकी लें।
38.यक्ष्मा (टी.बी):- 2 चम्मच मिश्री पर दालचीनी के तेल की 4 बूंद डालकर रोजाना 3 बार खाने से टी.बी के रोग में लाभ होता है। यदि टी.बी में फेफड़ों से रक्तस्राव (खून बहना) होता है। इसमें आधा चम्मच दालचीनी पाउडर पानी से रोजाना 2 बार फंकी लेने से लाभ मिलता है।
39.रक्तविकार:- दालचीनी खून को साफ करती है। यह खून की सफेद कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाती है। इसके लिए चौथाई चम्मच दालचीनी को एक चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना लेते हैं।
40.गर्मी देने वाली:- यदि कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो उसका शरीर ठण्डा पड़ गया हो, कमजोर हो गया हो तो दालचीनी का आधा चम्मच तेल 3 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से शरीर में गर्मी और चेतना आ जाती है।
41.वीर्य की पुष्टि:- दालचीनी गर्म और खुश्क होती है। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दालचीनी और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सफेद कत्था पीसकर पानी से दिन में 3 बार लेने से पेट के दस्त और मरोड़ ठीक हो जाते हैं। 1-1 ग्राम पिसी हुई दालचीनी को सुबह-शाम गर्म दूध से 15-20 दिन प्रयोग करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है।
42.अग्निमान्द्य:-
दालचीनी का चूर्ण 2 से 4 ग्राम दिन में 2 बार पानी के साथ लेने से अग्निमान्द्य (भूख कम लगना) दूर हो जाता है।
बारीक पिसी हुई 2 से 3 ग्राम देशी चीनी में दालचीनी का शुद्ध तेल 5 से 6 बूंद डालकर सुबह और शाम सोने से पहले रात को 1 सप्ताह तक लेने से अग्निमान्द्य (भोजन का न पचना) में लाभ होता हैं।
43.कुछ अन्य सरल प्रयोग:-
दालचीनी, कालीमिर्च और अदरक का काढ़ा पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
दालचीनी का सेवन करने से अजीर्ण (भूख न लगना), उल्टी, लार, पेट का दर्द और अफारा (पेट में गैस) मिटता है। यह स्त्रियों का ऋतुस्राव (मासिक-धर्म) साफ करती है और गर्भाशय का संकोचन करती है।
1 ग्राम दालचीनी और 5 ग्राम छोटी हरड़ को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 100 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर रात को पीने से सुबह साफ दस्त होता है और पेट की कब्ज दूर होती है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दालचीनी और सफेद कत्थे के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से अपच (भोजन का न पचना) के कारण बार-बार होने वाले पतले दस्त बंद हो जाते हैं।
लगभग 1.20 ग्राम दालचीनी का चूर्ण ताजे पानी से लेने से पेचिश बंद हो जाती है।
दालचीनी का तेल 2 से 3 बूंद 1 कप पानी में मिलाकर सेवन करने से इन्फ्लूएंजा, ज्वर (बुखार), ग्रहणी (दस्त), आन्त्रशूल (आंतों में दर्द), हिचकी और उल्टी में लाभ होता है।
दालचीनी के तेल अथवा रस में रुई का फाया भिगोकर दुखती दाढ़ या दांत पर रखने से लाभ होता है।
दालचीनी, कत्था, जायफल और फिटकरी को मिलाकर उसकी गोटी योनि में रखने से प्रदर रोग मिटता है तथा योनि का संकोचन दूर होता है।
44. पेशाब का बार-बार आना:-
दालचीनी को पीसकर सोते समय पानी से लेने से पेशाब का बार-बार आना कम हो जाता है।
10 ग्राम पिसी दालचीनी में, 10 ग्राम चीनी मिलाकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय पानी से लेने से पेशाब के बार-बार आने के रोग से छुटकारा मिलता है।
45.दांतों में कीड़े लगना:- दालचीनी के तेल में रूई भिगोकर दांत के गड्ढ़े में रखें। इससे दांत के कीड़े व दर्द नष्ट हो जाते हैं।
46.अफारा (गैस का बनना):- दालचीनी के तेल की 1 से 3 बूंद को मिश्री के साथ सुबह और शाम रोगी को देने से पेट के अफारे (गैस) में लाभ होता है।
47.डकार के आने पर:- 1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को बताशे या चीनी पर डालकर सुबह और शाम सेवन करने से डकार और पेट में गैस बंद हो जाती है।
48.जीभ और त्वचा की सुन्नता:- जीभ का लकवा, जीभ सुन्न हो जाने पर, दालचीनी का तेल मिश्री में मिलाकर 1 से 3 बूंद रोजाना दिन में 2 से 3 बार सेवन करें तथा दालचीनी का चूर्ण मुंह में रखकर बराबर चूसते रहें।
49.जीभ का स्वाद ठीक करना:- जबान (मुंह) पर कड़वाहट लगने पर दालचीनी या बच को पीसकर और छानकर इस चूर्ण में शहद मिला लें। इससे रोजाना जीभ को मलने से जीभ की कड़वाहट दूर होती है।
50.यात्राजन्य रोग:- 1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को बतासे पर डालकर मुंह में रखने से यात्रा में उबकाई नहीं आती है।
51.वमन (उल्टी):-
दालचीनी को पीसकर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
गर्मी के कारण अगर उल्टी हो रही हो तो दालचीनी को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
दालचीनी के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 3 बराबर भाग में करके शहद से दिन में 3 बार लेने से उल्टी बंद हो जाती है।
दालचीनी के तेल की 5 बूंदे ताल मिश्री के चूर्ण या बताशे में डालकर खाने से पेट का दर्द और उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।
52.कैन्सर रोग:-
दाल चीनी कैन्सर में अधिक दी जाती है। दालचीनी का तेल 3 बूंद रोजाना 3 बार दें। साथ ही दालचीनी चबाते रहने का निर्देश दें। यदि घाव बाहर हो, तेल लगाना सम्भव हो तो दालचीनी का तेल लगाते भी रहें। यह प्रतिदूषक, व्रणशोधक, व्रणरोपक और रोगाणु नाशक भी है।
दाल चीनी का काढ़ा रोजाना 350 ग्राम पीने से कैंसर रोग में राहत मिलती है।
2 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर रोजाना 3 बार चाटने से सभी प्रकार के कैंसर नष्ट हो जाते हैं।
53.नपुंसकता:- 75 ग्राम दालचीनी को पीसकर छान लें। इस 5 ग्राम चूर्ण को पानी में पीसकर सोते समय लिंग पर सुपारी (लिंग का अगला हिस्सा) छोड़कर लेप करें और 2-2 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें। इससे कुछ ही समय में नपुंसकता के रोग से मुक्ति मिल जायेगी ।
54.दस्त:-
10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम कत्था और 5 ग्राम फुलाई हुई फिटकरी को अच्छी तरह पीसकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार पानी के साथ पीने से दस्तों के रोग में लाभ होता है।
2 ग्राम दालचीनी का बारीक चूर्ण बनाकर ताजे पानी के साथ प्रयोग करने से अतिसार यानी दस्त की बीमारी से रोगी को तुरन्त आराम मिलता है।
दालचीनी का काढ़ा बनाकर रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से दस्त आना बंद हो जाते हैं।
2 ग्राम बारीक दालचीनी और 5 ग्राम सौंफ को मिलाकर खाने से दस्तों में लाभ मिलता है।
दालचीनी, जायफल और खैरसार को पीसकर छोटी-छोटी गोली बनाकर रख लें, फिर इसी बनी गोली को प्रयोग करने से दस्त के कारण शरीर में आई कमजोरी समाप्त होती है।
2 ग्राम बारीक पिसी हुई दालचीनी पानी के साथ सेवन करने से दस्त आना बंद हो जाता है अथवा दालचीनी और कत्था बराबर मात्रा में लेकर पीसकर आधा चम्मच रोजाना 3 बार सेवन करने से भी दस्त बंद हो जाते हैं।
दालचीनी, चुनिया, गोंद और अफीम को मिलाकर छोटी-छोटी गोली बनाकर खुराक के रूप में प्रयोग करने से अतिसार (दस्त) में लाभ मिलता है।
55.गर्भवती स्त्री की उल्टी:- 1 से 3 बूंद दालचीनी का तेल सुबह-शाम मिश्री के साथ सेवन करने से वमन (उल्टी) होना बंद हो जाती है।
56.आमातिसार:- दालचीनी का काढ़ा बनाकर रोजाना 2 से 3 बार सेवन करने से आमातिसार (ऑवयुक्तदस्त) का रोग दूर हो जाता है।
57.संग्रहणी (पेचिश):-
दालचीनी का काढ़ा रोजाना 3 बार सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
मासिक-धर्म समाप्ति के बाद होने वाले शारीरिक व मानसिक विकार:- मासिक-धर्म के समाप्ति के बाद होने वाले शारीरिक और मानसिक परेशानी से बचने के लिए 1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को बताशे पर डालकर सुबह-शाम सेवन करना लाभकारी होता है।
58.गुर्दे के रोग:- दालचीनी का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ खाने से गुर्दे का दर्द दूर हो जाता है।
59.गुर्दे की सूजन:- दालचीनी को खाने से गुर्दे की सूजन मिट जाती है।
60.एड्स:- दालचीनी एड्स के लिये बहुत ही लाभदायक होती है क्योंकि इससे खून के सफेद कण की वृद्धि होती है, जबकि एड्स में सफेद कण का कम होना ही अनेक रोगों को आमन्त्रित करता है। साथ ही पेट के कीड़े साफ करने, घाव को भरने एवं ठीक करने के गुणों से युक्त होता है। दालचीनी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की मात्रा में अथवा तेल 1 से 3 बूंद की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करें।
61.नजला:-
7 काली मिर्च और 7 बताशों को 250 ग्राम पानी में डालकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद यह पानी 1 चौथाई बाकी रह जाने पर एक शीशी में भरकर रख लें। इस पानी को 2 दिन तक सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से नजला बिल्कुल ठीक हो जाता है।
इसके साथ ही जुकाम, खांसी और हल्का-सा बुखार या शरीर का दर्द भी दूर हो जाता है। इसको पीने से पसीना भी बहुत आता है और पसीना आने के साथ ही शरीर का भारीपन समाप्त होकर शरीर हल्का हो जाता है।
62.रक्तप्रदर:- रक्तप्रदर में 1 से 3 बूंद दालचीनी का तेल अशोकारिष्ट के प्रत्येक मात्रा के साथ रोजाना 2 बार लेने से गर्भाशय की शिथिलता कम होती है और रक्तप्रदर भी ठीक हो जाता है। रक्तप्रदर में दालचीनी चबाने को भी देना चाहिए।
63.रक्तपित्त:- मुंह या फेफड़ों से बहने वाले खून में दालचीनी के काढ़े का रोजाना प्रयोग करने से लाभ होता है।
64.नींद न आना:- लगभग 125 मिलीलीटर पानी में 3 ग्राम दालचीनी को खूब उबालें। फिर इसको छानकर इसमें 3 बताशे डालकर हल्का गर्म करके सुबह के समय पिलाने से नींद अच्छी आती है।
65.वीर्य के रोग में:-
20 ग्राम दालचीनी को पीसकर इसमें 20 ग्राम चीनी मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध से लेने से वीर्य के रोग ठीक हो जाते हैं।
5-5 ग्राम दालचीनी और काले तिल को पीसकर शहद में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर !