नई दिल्ली l कर्ज में डूबी सरकारी कंपनी एयर इंडिया को बेचने के लिए सरकार ने एक बार फिर से बोली मंगाई है। इस बार कंपनी के 76 नहीं बल्कि 100 फीसदी शेयर ऑफर किया गया है। यही नहीं, इस बार कर्ज और देयतताओं का भी पुनर्निधारण किया गया है ताकि बोली आकर्षक हो सके।
बोली के दस्तावेजों के मुताबिक, एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी और संयुक्त उपक्रम एआईएसएटीएस में 50 फीसदी शेयर बेचेगी। इसके लिए 17 मार्च तक बोलियां मांगी गई हैं। हालांकि अभी तक केवल दो कंपनियों ने एयर इंडिया को खरीदने की रुचि दिखाई है, जिसमें ब्रिटेन का हिंदुजा समूह भी शामिल हैं।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को बताया कि पिछले साल जब इस कंपनी को बेचने की कोशिश की गई थी तो किसी ने रुचि नहीं ली। इस बार उससे सबक लेते हुए नियम एवं शर्तों का पुनर्निधारण किया गया है।
नई शर्तों के मुताबिक खरीदार को एयर इंडिया के सिर्फ 23,286.50 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। जबकि इस समय कंपनी पर करीब 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसी तरह अब 8771.5 करोड़ रुपये की देयताओं की ही जिम्मेदारी बोलीदाता को लेनी होगी।
इसके साथ ही कंपनी का प्रबंधकीय नियंत्रण भी निजी कंपनी को सौंपा जाएगा। इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक कंपनी शामिल हो सके, इसके लिए इस बार कंपनी के नेटवर्थ की शर्त को 5000 करोड़ रुपये से घटा कर 3500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बोली प्रक्रिया में सार्वजनिक क्षेत्र की कोई कंपनी भाग नहीं ले सकेगी। हां, कर्मचारी यदि चाहें तो उन्हें कर्मचारी शेयर योजना के तहत तीन फीसदी शेयर मिल सकता है।
पुरी ने बताया कि एयर इंडिया के शत प्रतिशत शेयरों के साथ साथ कंपनी की अनुषंगी इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी शत प्रतिशत शेयर बेचे जाएंगे। इसके साथ ही ग्राउंड हैंडलिंग सेवा देने वाले कंपनी के संयुक्त उपक्रम एआई सैट्स की भी पूरी 50 फीसदी हिस्सेदारी सफल बोलीदाता को दे दी जाएगी।
कंपनी के अन्य उपक्रम- एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज, एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज, एयरलाइन एलाइड सर्विसेज और होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया एक अलग स्पेशल परपज व्हीकल -एसपीवी- कंपनी- एयर इींडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड -एआईएएचएल- को हस्तांतरित कर दी जाएंगी।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया कि इस समय एयर इंडिया में कुल 17984 कर्मचारी हैं। इनमें से 9617 स्थायी कर्मचारी हैं। इनमें से 36 फीसदी कर्मचारी ऐसे हैं जो अगले पांच साल में रिटायर हो जाएंगे।
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के हितों का पूर्ण रूप से बचाव किया जाएगा। इस समय धर्माधिकारी कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप कर्मचारियों का 1383.70 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसे भुगतान करने की जिम्मेदारी एआईएएचएल की होगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात हो चुकी है।