नई दिल्ली । इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड़ में उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलेगी। यह जानकारी दिनेश गुप्ता, प्रभारी निदेशक, राज्य सूचना विभाग, नई दिल्ली ने आज दी। 28 फीट लंबी इस मनोरम झांकी में काशी की निर्मल धारा में वहां की सांस्कृतिक विरासत अविरल प्रवाह झलकेगा। दिनेश गुप्ता ने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश की झांकी की विशेष बात यह होगी की उसमें यूपी के सर्व-धर्म-समभाव की पारंपरिक विरासत के दर्शन भी होंगे।
झांकी के केंद्र में देश की सनातन संस्कृति का प्रतीक काशी को छाया प्रदर्शित किया गया है। झांकी के अगले हिस्से में बने प्लेटफार्म पर भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़े वागयंत्रों, सितार, तबला, शहनाई और सारंगी दिखाई गई है। मंच के नीचे काशी में प्रवाहित गंगा और वहां की संस्कृति की अनोखी झलक दिखेगी।
काशी की संगीत परंपरा को नई ऊंचाईयां प्रदान करने वाले प्रख्यात शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां, तबला सम्राट पंड़ित शाम्ता प्रसाद और सर्वसमज्ञी विदूषी गिरिजा देवी की प्रतिक्रितियां दिखाई देंगी। कत्थक नृत्य करते कलाकार झांकी को सजीव बनाएंगे। नृत्य कर रहे कलाकारों के पीछे काशी की संत परंपरा को खास पहचान देने वाले संत कबीर, संत रविदास की प्रतिक्रितियां होंगी और उनके साथ ही बाराबंकी की मशहूर मजार देवा शरीफ के दर्शन भी होंगे। दिनेश गुप्ता ने आगे बताया कि यह झांकी उत्तर प्रदेश की सूफियाना तासीर और गंगा यमुना का प्रतीक होगी। झांकी के दोनों तरफ जमीन पर कलाकार सांस्कृतिक विद्याओं का प्रदर्शन करते हुए दिखेंगे। झांकी के साथ 18 कलाकार नृत्य करते हुए नजर आएंगे। जिसमें 8 कलाकार पुरूष और इतनी ही महिलाएं हैं और एक कोरियोग्राफर है। झांकी में तबला, सारंगी, शहनाई और सितार का एक मिश्रित संगीत बज रहा है।